जिसका जैसा "चरित्र" होता है
उसका वैसा ही "मित्र" होता है ।
"शुद्धता" होती है "विचारों"में
"आदमी" कब "पवित्र" होता है ।
फूलो में भी कीड़े पाये जाते हैं..,
पत्थरों में भी हीरे पाये जाते हैं.., बुराई को छोड़कर अच्छाई देखिये तो सही.., नर में भी नारायण पाये जाते हैं..!!
उसका वैसा ही "मित्र" होता है ।
"शुद्धता" होती है "विचारों"में
"आदमी" कब "पवित्र" होता है ।
फूलो में भी कीड़े पाये जाते हैं..,
पत्थरों में भी हीरे पाये जाते हैं.., बुराई को छोड़कर अच्छाई देखिये तो सही.., नर में भी नारायण पाये जाते हैं..!!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें