सोमवार, 12 सितंबर 2016

बहुत सुंदर पंक्तियाँ


** बहुत सुंदर पंक्तियाँ **

 "रहता हूं किराये की काया में, रोज़ सांसों को बेच कर किराया चूकाता हूं...!

- मेरी औकात है बस मिट्टी जितनी, बात मैं महल मिनारों की कर जाता हूं...!

 - जल जायेगी ये मेरी काया ऐक दिन, फिर भी इसकी खूबसूरती पर इतराता हूं...! -

 मुझे पता हे मैं खुद के सहारे श्मशान तक भी ना जा सकूंगा,
 इसीलिए मैं दोस्त बनाता हूं . !

!"😊शुभ प्रभात 😊 ।।

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