शनिवार, 10 सितंबर 2016

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जरूर पढे अच्छा लगे तो शेयर करना न भूले।।  एक बार एक शहरी परिवार मेले मेँ घुमने  गया, मेले मेँ 1 घंटे तक घुमे, कि अचानक उनका बेटा मेले मेँ खो गया, दोनो पति-पत्नी उसे मेले मेँ बहुत ढ़ुढ़तेहै,  लेकिन लङका नही मिलता…  लङके कि माँ जोर-जोर से रोने लगती है,  बाद मेँ पुलिस को सुचना देतेहै,  आधे घण्टे बाद लङका मिल जाता है, लङके के मिलते ही उसका पति गाँव का टिकिट लेकर आता है,     और वो सब बस मेँ बेठ कर गाँव रवाना हो जाते है,  तभी पत्नी ने पुछा: हम गाँव क्यो जा रहे हैं? अपने घर नही जाना है क्या…?  तभी उसका पति बोला: “तु तेरी औलाद के बिना आधा घण्टा नही रह सकती,  तो मेरी माँ गाँव मेँ पिछले 10 साल से मेरे बिना कैसे जी रही होगी..??  माँ-बाप का दिल दु:खाकर आजतक कोई सुखी नही हुआ.  कदर करनी है, तो जीतेजी करो, जनाजा उठाते वक़्त तो नफरत करने वाले भी रो पड़ते हैं।।।।।।  प्लीज सही लगे तो सभी दोस्तो को जरुर भेजना , माँ–  माँ तो जन्नत का फूल है , प्यार करना उसका उसूल है , दुनिया की मोह्ब्बत फिजूल है , माँ की हर दुआ कबूल है, माँ को नाराज करना इंसान तेरी भूल है, माँ के कदमो की मिट्टी , जन्नत की धूल है , अगर अपनी माँ से है प्यार , तो अपने सभी दोस्तो को सेन्ड करे।। वरना ये मेसेज आपके लिये फिजूल है।। 

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