सोमवार, 26 सितंबर 2016
सोमवार, 19 सितंबर 2016
ओढ़ कर तिरंगा क्यों पापा आये है
शुक्रवार, 16 सितंबर 2016
गुरुवार, 15 सितंबर 2016
29 Secret whatsapp tricks you never knew
Use whatsapp without any phone Number
Do you know you can use whatsapp without any phone number. Yes you heard it right. Follow the steps:- Uninstall whatsapp from your mobile.
- Download whatsapp from play store.
- Turn the flight mode on.
- Download and install spoof messages app from play store
- Start the installation process.
- Now , It will not be able to verify you via internet and it will prompt you to choose alternate SMS Method.
- Now choose check through sms and enter your email.
- Instantly without waiting for any more time click on cancel and authorization process will stop.
- Now open the spoof messaging app and enter below details.
To
+447900347295
From: +(Country code)(mobile number)
Message: Your email address
It will now verify whatsapp for you and you will start using whatsapp.
Send all your conversation to your email
Most people wanted to view media and chats on their computer, but they are unaware of a shortcut that can send all the chat history and images, video to your inbox with one single click.- Just go to whatsapp and press any contact for more than few seconds.
- A pop up menu will appear
- Click on email conversation. Send your conversation via gmail or any other email.
Spy on someone else whatsapp
- Borrow your friends’ android phone which you want to spy for just one minute.
- Go to settings —> About phone —> Status—> Wi-Fi MAC address
- Note down the mac address. Keep the phone for few more minutes. we need it man.
- Now go to your phone and uninstall whatsapp.
- Change your Mac id to your friend’s one by spoofing mac.
- Now Download and install whatsapp on your phone. Whatsapp will send the verification code to your friend’s phone.
- verify your downloaded whatsapp by the verification code sent to your friend’s phone.
- You have installed exact replica of your friend’s whatsapp. Now whatever he or she will do, you can track it with your phone. Useful for parents and lovers. Do not use it for illegal purpose.
Stop someone from Knowing you read his message or not
You can also stop whatsapp from showing someone else read notification. That is , no one can find out you read their message or not. The only disadvantage is that once you check this option, You also can not determine when your message was read by other.Steps:-
- Open your WhatsApp and tap three vertical dots icon on the top right of your screen.
- Now move to Settings > Account > Privacy.
- Uncheck Read receipts.
सुन्दर सन्देश
नानक के प्रवचन
बुधवार, 14 सितंबर 2016
करतूत भाग -1
प्रेम ही सफल जीवन का राज है
मंगलवार, 13 सितंबर 2016
बचपन के क्रिकेट के रूल्स
बचपन के क्रिकेट के रूल्स - 1-आठ ईंटो की विकिट होगी ।……
2- पहली ट्राई बॉल होगी।……
3- जो बाउंडरि से बाहर बॉल फेकेगा;वो खुद वापस लेके आएगा।……
4-बैटिंग टीम अम्प्यारिंग करेगा।……
5- दिवार को डायरेक्ट लगा तो सिक्स;बॉल बाहर गयी तो आउट।……
6- आखरी बैट्समैन अकेला बैटिंग कर सकता है।. ……
7- जो बिच में गेम छोडेगा;उसे कल नहीं खिलायेंगे……
8- जो बाहर बॉल फेखेगा;खुद लायेगा;नहीं मिली तो खरीद कर लायेगा।……
9- छोटे बच्चे सिर्फ fielding करगे;उनको लास्ट में खिलाएगे।……
10-जब अन्धेरा हो जायेगा तो बॉल स्लो कराई जाएगी।…………
11- दिवार को लग कर केच हुआ तो"नोट आउट"......
12- तीन बॉल लगातार वाइड कि तो ऑवर कैन्सिल..........
. 13- जो जितेगा वो अगली बार पहले बैटिंग करेगा......
14- कीपर अगर आगे से पकडेगा तो आउट नही होगा no बॉल होगी......
15- बैटिंग नही आई तो no फिल्डींग ......
16- तीन बॉल से ज्यादा पर रन नही बना तो रिटायर
17- अगर ऍम्पायर की बात नहीं मानी तो देखने वाले का फैसला अंतिम होगा
18- मैच के दौरान अगर घर से बुलावा आ गया तो जा सके है पारी नहीं कटेगी
19- जिसका बैट होगा ओपनिंग वही करेंगा........
कुछ याद आया बचपन के वो दिन तो ठोको कमेंट
*#प्रेत_के_प्रश्न*
रात्रि के अंतिम प्रहर में एक बुझी हुई चिता की भस्म पर अघोरी ने जैसे ही आसन लगाया, एक प्रेत ने उसकी गर्दन जकड़ ली और बोला- मैं जीवन भर विज्ञान का छात्र रहा और जीवन के उत्तरार्ध में तुम्हारे पुराणों की विचित्र कथाएं पढ़कर भ्रमित होता रहा. यदि तुम मुझे पौराणिक कथाओं की सार्थकता नहीं समझा सके तो मैं तुम्हे भी इसी भस्म में मिला दूंगा.
अघोरी बोला- एक कथा सुनो, रैवतक राजा की पुत्री का नाम रेवती था. वह सामान्य कद के पुरुषों से बहुत लंबी थी, राजा उसके विवाह योग्य वर खोजकर थक गये और चिंतित रहने लगे. थक-हारकर वो योगबल के द्वारा पुत्री को लेकर ब्रह्मलोक गए. राजा जब वहां पहुंचे तब गन्धर्वों का गायन समारोह चल रहा था, राजा ने गायन समाप्त होने की प्रतीक्षा की.
गायन समाप्ति के उपरांत ब्रह्मदेव ने राजा को देखा और पूछा- कहो, कैसे आना हुआ?
राजा ने कहा- मेरी पुत्री के लिए किसी वर को आपने बनाया अथवा नहीं?
ब्रह्मा जोर से हंसे और बोले- जब तुम आये तबतक तो नहीं, पर जिस कालावधि में तुमने यहाँ गन्धर्वगान सुना उतनी ही अवधि में पृथ्वी पर २७ चतुर्युग बीत चुके हैं और २८ वां द्वापर समाप्त होने वाला है, अब तुम वहां जाओ और कृष्ण के बड़े भाई बलराम से इसका विवाह कर दो, अच्छा हुआ की तुम रेवती को अपने साथ लाए जिससे इसकी आयु नहीं बढ़ी.
इस कथा का वैज्ञानिक संदर्भ समझो- आर्थर सी क्लार्क ने आइंस्टीन की थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी की व्याख्या में एक पुस्तक लिखी है- मैन एंड स्पेस, उसमे गणना है की यदि 10 वर्ष का बालक यदि प्रकाश की गति वाले यान में बैठकर एंड्रोमेडा गैलेक्सी का एक चक्कर लगाये तो वापस आनेपर उसकी आयु ६६ वर्ष की होगी पर धरती पर 40 लाख वर्ष बीत चुके होंगे.
यह आइंस्टीन की time dilation theory ही तो है जिसके लिए जॉर्ज गैमो ने एक मजाकिया कविता लिखी थी-
There was a young girl named Miss Bright,
Who could travel much faster than light
She departed one day in an Einstein way
And came back previous night
प्रेत यह सुनकर चकित था, बोला- यह कथा नहीं है, यह तो पौराणिक विज्ञान है, हमारी सभ्यता इतनी अद्भुत रही है, अविश्वसनीय है. तभी तो आइंस्टीन पुराणों को अपनी प्रेरणा कहते थे. मैं अब सभी शवों और प्रेतों को यह विज्ञानकथा बताऊंगा ताकि वो राष्ट्रीय शरीर धारण कर सकें. अनेक वामपंथी यह कहते फिरते हैं की यदि इतना ही उन्नत था हमारा प्राचीन तो प्रमाण क्या है? अब उनको देता हूँ यह प्रमाण.
अघोरी मुस्कुराता रहा और प्रेत वायु में विलीन हो गया.
हम विश्व की सबसे उन्नत संस्कृति हैं यह विश्वास मत खोना, आपस में जाति, मत, पूजा पद्धति को लेकर उलझने वालों को देश का शत्रु मानो..
🌞🌞
तूफान को पर करो : रुकोगे तो फसोगे
सोमवार, 12 सितंबर 2016
उत्तर प्रदेश के जिला अधिकारियो के नंबर
बहुत सुंदर पंक्तियाँ
** बहुत सुंदर पंक्तियाँ **
"रहता हूं किराये की काया में, रोज़ सांसों को बेच कर किराया चूकाता हूं...!
- मेरी औकात है बस मिट्टी जितनी, बात मैं महल मिनारों की कर जाता हूं...!
- जल जायेगी ये मेरी काया ऐक दिन, फिर भी इसकी खूबसूरती पर इतराता हूं...! -
मुझे पता हे मैं खुद के सहारे श्मशान तक भी ना जा सकूंगा,
इसीलिए मैं दोस्त बनाता हूं . !
!"😊शुभ प्रभात 😊 ।।
भाउक रिश्ता : एक श्रृंखला
दोस्तों भौक रिश्ता का एक श्रृंखला लेकर आया हूं।
इस कड़ी में पुराणी कहानी है
पर आगे एक नई कहानी होगी।
अगर यह कहानी दिल को छू जाये तो कमेंट बॉक्स में अपनी प्रतिक्रिया अवस्य दे।
आओ बच्चों तुम्हे दिखायें, शैतानी शैतान की
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आओ बच्चों तुम्हे दिखायें, शैतानी शैतान की। नेताओं से बहुत दुखी है, जनता हिन्दुस्तान की।। बड़े-बड़े नेता शामिल हैं, घोटालों की थाली में। सूटकेश भर के चलते हैं, अपने यहाँ दलाली में।। देश-धर्म की नहीं है चिंता, चिन्ता निज सन्तान की। नेताओं से बहुत दुखी है, जनता हिन्दुस्तान की।। चोर-लुटेरे भी अब देखो, सांसद और विधायक हैं। सुरा-सुन्दरी के प्रेमी ये, सचमुच के खलनायक हैं।। भिखमंगों में गिनती कर दी, भारत देश महान की। नेताओं से बहुत दुखी है, जनता हिन्दुस्तान की।। जनता केआवंटित धन को, आधा मन्त्री खाते हैं। बाकी में अफसर-ठेकेदार, मिलकर मौज उड़ाते हैं।। लूट-खसोट मचा रखी है, सरकारी अनुदान की। नेताओं से बहुत दुखी है, जनता हिन्दुस्तान की।। थर्ड क्लास अफसर बन जाता, फर्स्ट क्लास चपरासी है। होशियार बच्चों के मन में, छायी आज उदासी है।। गंवार व्यक्ति तो नेता ब न गया, मेधावी आज खलासी है। आओ बच्चों तुम्हें दिखायें, शैतानी शैतान की।। नेताओं से बहुत दुखी है, जनता हिन्दुस्तान की।। 🙇🙇🙇🙇🙇
आओ बच्चों तुम्हे दिखायें, शैतानी शैतान की। नेताओं से बहुत दुखी है, जनता हिन्दुस्तान की।। बड़े-बड़े नेता शामिल हैं, घोटालों की थाली में। सूटकेश भर के चलते हैं, अपने यहाँ दलाली में।। देश-धर्म की नहीं है चिंता, चिन्ता निज सन्तान की। नेताओं से बहुत दुखी है, जनता हिन्दुस्तान की।। चोर-लुटेरे भी अब देखो, सांसद और विधायक हैं। सुरा-सुन्दरी के प्रेमी ये, सचमुच के खलनायक हैं।। भिखमंगों में गिनती कर दी, भारत देश महान की। नेताओं से बहुत दुखी है, जनता हिन्दुस्तान की।। जनता केआवंटित धन को, आधा मन्त्री खाते हैं। बाकी में अफसर-ठेकेदार, मिलकर मौज उड़ाते हैं।। लूट-खसोट मचा रखी है, सरकारी अनुदान की। नेताओं से बहुत दुखी है, जनता हिन्दुस्तान की।। थर्ड क्लास अफसर बन जाता, फर्स्ट क्लास चपरासी है। होशियार बच्चों के मन में, छायी आज उदासी है।। गंवार व्यक्ति तो नेता ब न गया, मेधावी आज खलासी है। आओ बच्चों तुम्हें दिखायें, शैतानी शैतान की।। नेताओं से बहुत दुखी है, जनता हिन्दुस्तान की।। 🙇🙇🙇🙇🙇
रविवार, 11 सितंबर 2016
व्हात्सप्प स्टेटस
भाउक रिश्ता
पगली लड़की : कुमार विस्वास
अमावस की काली रातों में अमावस की काली रातों में दिल का दरवाजा खुलता है, जब दर्द की काली रातों में गम आंसू के संग घुलता है, जब पिछवाड़े के कमरे में हम निपट अकेले होते हैं, जब घड़ियाँ टिक-टिक चलती हैं,सब सोते हैं, हम रोते हैं, जब बार-बार दोहराने से सारी यादें चुक जाती हैं, जब ऊँच-नीच समझाने में माथे की नस दुःख जाती है, तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है, और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है। जब पोथे खाली होते है, जब हर्फ़ सवाली होते हैं, जब गज़लें रास नही आती, अफ़साने गाली होते हैं, जब बासी फीकी धूप समेटे दिन जल्दी ढल जता है, जब सूरज का लश्कर छत से गलियों में देर से जाता है, जब जल्दी घर जाने की इच्छा मन ही मन घुट जाती है, जब कालेज से घर लाने वाली पहली बस छुट जाती है, जब बेमन से खाना खाने पर माँ गुस्सा हो जाती है, जब लाख मन करने पर भी पारो पढ़ने आ जाती है, जब अपना हर मनचाहा काम कोई लाचारी लगता है, तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है, और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है। जब कमरे में सन्नाटे की आवाज़ सुनाई देती है, जब दर्पण में आंखों के नीचे झाई दिखाई देती है, जब बड़की भाभी कहती हैं, कुछ सेहत का भी ध्यान करो, क्या लिखते हो दिन भर, कुछ सपनों का भी सम्मान करो, जब बाबा वाली बैठक में कुछ रिश्ते वाले आते हैं, जब बाबा हमें बुलाते है,हम जाते में घबराते हैं, जब साड़ी पहने एक लड़की का फोटो लाया जाता है, जब भाभी हमें मनाती हैं, फोटो दिखलाया जाता है, जब सारे घर का समझाना हमको फनकारी लगता है, तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है, और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है। दीदी कहती हैं उस पगली लडकी की कुछ औकात नहीं, उसके दिल में भैया तेरे जैसे प्यारे जज़्बात नहीं, वो पगली लड़की मेरी खातिर नौ दिन भूखी रहती है, चुप चुप सारे व्रत करती है, मगर मुझसे कुछ ना कहती है, जो पगली लडकी कहती है, मैं प्यार तुम्ही से करती हूँ, लेकिन मैं हूँ मजबूर बहुत, अम्मा-बाबा से डरती हूँ, उस पगली लड़की पर अपना कुछ भी अधिकार नहीं बाबा, सब कथा-कहानी-किस्से हैं, कुछ भी तो सार नहीं बाबा, बस उस पगली लडकी के संग जीना फुलवारी लगता है, और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है |||
शनिवार, 10 सितंबर 2016
परंपरा
संकलित)
एक गोत्र में शादी क्यूँ नहीं....
वैज्ञानिक कारण हैं..
एक दिन डिस्कवरी पर जेनेटिक
बीमारियों से सम्बन्धित एक ज्ञानवर्धक कार्यक्रम
देख रहा था ... उस प्रोग्राम में एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने कहा की जेनेटिक बीमारी न हो इसका एक ही इलाज है और वो है "सेपरेशन ऑफ़
जींस".. मतलब अपने नजदीकी रिश्तेदारो में विवाह नही करना चाहिए ..क्योकि नजदीकी
रिश्तेदारों में जींस सेपरेट (विभाजन) नही हो पाता और जींस लिंकेज्ड
बीमारियाँ जैसे हिमोफिलिया, कलर ब्लाईंडनेस, और
एल्बोनिज्म होने की १००% चांस होती है ..
फिर मुझे
बहुत ख़ुशी हुई जब उसी कार्यक्रम में ये
दिखाया गया की आखिर हिन्दूधर्म में
हजारों सालों पहले जींस और डीएनए के बारे में
कैसे
लिखा गया है ? हिंदुत्व में कुल सात गोत्र होते
है
और एक गोत्र के लोग आपस में शादी नही कर
सकते
ताकि जींस सेपरेट (विभाजित) रहे.. उस वैज्ञानिक ने
कहा की आज पूरे विश्व
को मानना पड़ेगा की हिन्दूधर्म ही विश्व का
एकमात्र
ऐसा धर्म है जो "विज्ञान पर आधारित" है !
हिंदू परम्पराओं से जुड़े ये वैज्ञानिक तर्क:
1- कान छिदवाने की परम्परा:
भारत में लगभग सभी धर्मों में कान छिदवाने की परम्परा है।
वैज्ञानिक तर्क-
दर्शनशास्त्री मानते हैं कि इससे सोचने की शक्ति बढ़ती है। जबकि डॉक्टरों का मानना है कि इससे बोली अच्छी होती है और कानों से होकर दिमाग तक जाने वाली नस का रक्त संचार नियंत्रित रहता है।
2-: माथे पर कुमकुम/तिलक
महिलाएं एवं पुरुष माथे पर कुमकुम या तिलक लगाते हैं।
वैज्ञानिक तर्क- आंखों के बीच में माथे तक एक नस जाती है। कुमकुम या तिलक लगाने से उस जगह की ऊर्जा बनी रहती है। माथे पर तिलक लगाते वक्त जब अंगूठे या उंगली से प्रेशर पड़ता है, तब चेहरे की त्वचा को रक्त सप्लाई करने वाली मांसपेशी सक्रिय हो जाती है। इससे चेहरे की कोशिकाओं तक अच्छी तरह रक्त पहुंचता
3- : जमीन पर बैठकर भोजन
भारतीय संस्कृति के अनुसार जमीन पर बैठकर भोजन करना अच्छी बात होती है।
वैज्ञानिक तर्क- पलती मारकर बैठना एक प्रकार का योग आसन है। इस पोजीशन में बैठने से मस्तिष्क शांत रहता है और भोजन करते वक्त अगर दिमाग शांत हो तो पाचन क्रिया अच्छी रहती है। इस पोजीशन में बैठते ही खुद-ब-खुद दिमाग से एक सिगनल पेट तक जाता है, कि वह भोजन के लिये तैयार हो जाये।
4- : हाथ जोड़कर नमस्ते करना
जब किसी से मिलते हैं तो हाथ जोड़कर नमस्ते अथवा नमस्कार करते हैं।
वैज्ञानिक तर्क- जब सभी उंगलियों के शीर्ष एक दूसरे के संपर्क में आते हैं और उन पर दबाव पड़ता है। एक्यूप्रेशर के कारण उसका सीधा असर हमारी आंखों, कानों और दिमाग पर होता है, ताकि सामने वाले व्यक्ति को हम लंबे समय तक याद रख सकें। दूसरा तर्क यह कि हाथ मिलाने (पश्चिमी सभ्यता) के बजाये अगर आप नमस्ते करते हैं तो सामने वाले के शरीर के कीटाणु आप तक नहीं पहुंच सकते। अगर सामने वाले को स्वाइन फ्लू भी है तो भी वह वायरस आप तक नहीं पहुंचेगा।
5-: भोजन की शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से
जब भी कोई धार्मिक या पारिवारिक अनुष्ठान होता है तो भोजन की शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से होता है।
वैज्ञानिक तर्क- तीखा खाने से हमारे पेट के अंदर पाचन तत्व एवं अम्ल सक्रिय हो जाते हैं। इससे पाचन तंत्र ठीक तरह से संचालित होता है। अंत में मीठा खाने से अम्ल की तीव्रता कम हो जाती है। इससे पेट में जलन नहीं होती है।
6-: पीपल की पूजा
तमाम लोग सोचते हैं कि पीपल की पूजा करने से भूत-प्रेत दूर भागते हैं।
वैज्ञानिक तर्क- इसकी पूजा इसलिये की जाती है, ताकि इस पेड़ के प्रति लोगों का सम्मान बढ़े और उसे काटें नहीं। पीपल एक मात्र ऐसा पेड़ है, जो रात में भी ऑक्सीजन प्रवाहित करता ह
7-: दक्षिण की तरफ सिर करके सोना
दक्षिण की तरफ कोई पैर करके सोता है, तो लोग कहते हैं कि बुरे सपने आयेंगे, भूत प्रेत का साया आ जायेगा, आदि। इसलिये उत्तर की ओर पैर करके सोयें।
वैज्ञानिक तर्क- जब हम उत्तर की ओर सिर करके सोते हैं, तब हमारा शरीर पृथ्वी की चुंबकीय तरंगों की सीध में आ जाता है। शरीर में मौजूद आयरन यानी लोहा दिमाग की ओर संचारित होने लगता है। इससे अलजाइमर, परकिंसन, या दिमाग संबंधी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। यही नहीं रक्तचाप भी बढ़ जाता है।
8-सूर्य नमस्कार
हिंदुओं में सुबह उठकर सूर्य को जल चढ़ाते हुए नमस्कार करने की परम्परा है।
वैज्ञानिक तर्क- पानी के बीच से आने वाली सूर्य की किरणें जब आंखों में पहुंचती हैं, तब हमारी आंखों की रौशनी अच्छी होती है।
9-सिर पर चोटी
हिंदू धर्म में ऋषि मुनी सिर पर चुटिया रखते थे। आज भी लोग रखते हैं।
वैज्ञानिक तर्क- जिस जगह पर चुटिया रखी जाती है उस जगह पर दिमाग की सारी नसें आकर मिलती हैं। इससे दिमाग स्थिर रहता है और इंसान को क्रोध नहीं आता, सोचने की क्षमता बढ़ती है।
10-व्रत रखना
कोई भी पूजा-पाठ या त्योहार होता है, तो लोग व्रत रखते हैं।
वैज्ञानिक तर्क- आयुर्वेद के अनुसार व्रत करने से पाचन क्रिया अच्छी होती है और फलाहार लेने से शरीर का डीटॉक्सीफिकेशन होता है, यानी उसमें से खराब तत्व बाहर निकलते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार व्रत करने से कैंसर का खतरा कम होता है। हृदय संबंधी रोगों, मधुमेह, आदि रोग भी जल्दी नहीं लगते।
11-चरण स्पर्श करना
हिंदू मान्यता के अनुसार जब भी आप किसी बड़े से मिलें, तो उसके चरण स्पर्श करें। यह हम बच्चों को भी सिखाते हैं, ताकि वे बड़ों का आदर करें।
वैज्ञानिक तर्क- मस्तिष्क से निकलने वाली ऊर्जा हाथों और सामने वाले पैरों से होते हुए एक चक्र पूरा करती है। इसे कॉसमिक एनर्जी का प्रवाह कहते हैं। इसमें दो प्रकार से ऊर्जा का प्रवाह होता है, या तो बड़े के पैरों से होते हुए छोटे के हाथों तक या फिर छोटे के हाथों से बड़ों के पैरों तक।
12-क्यों लगाया जाता है सिंदूर
शादीशुदा हिंदू महिलाएं सिंदूर लगाती हैं।
वैज्ञानिक तर्क- सिंदूर में हल्दी, चूना और मरकरी होता है। यह मिश्रण शरीर के रक्तचाप को नियंत्रित करता है। चूंकि इससे यौन उत्तेजनाएं भी बढ़ती हैं, इसीलिये विधवा औरतों के लिये सिंदूर लगाना वर्जित है। इससे स्ट्रेस कम होता है।
13- तुलसी के पेड़ की पूजा
तुलसी की पूजा करने से घर में समृद्धि आती है। सुख शांति बनी रहती है।
वैज्ञानिक तर्क- तुलसी इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। लिहाजा अगर घर में पेड़ होगा, तो इसकी पत्तियों का इस्तेमाल भी होगा और उससे बीमारियां दूर होती हैं।
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अगर हिंदू परम्पराओं से जुड़े ये वैज्ञानिक तर्क आपको वाकई में पसंद आये हैं, तो इस लेख को शेयर कीजिये, ताकि आगे से कोई भी इस परम्परा को ढकोसला न कहे।
एक मैसेज भारतीय सभ्यता के नाम
गाय हमारी *COW* बन गयी, शर्
.
.
.म हया अब *WOW* बन गयी
, काढ़ा हमारा *CHAI* बन गया
, छोरा बेचारा *GUY* बन गया,
योग हमारा *YOGA* बन गया,
घर का जोगी *JOGA* बन गया,.
भोजन 100 रु. *PLATE* बन गया,.
..हमारा भारत *GREAT* बन गया..
घर की दीवारेँ *WALL* बन गयी.
, दुकानेँ *SHOPING MALL*बन गयीँ,
गली मोहल्ला *WARD* बन गया.
, ऊपरवाला *LORD* बन गया,
माँ हमारी *MOM* बन गयी.
, छोरियाँ *ITEM BOMB* बन गयीँ,
तुलसी की जगह *मनी प्लांट* ने ले ली..!
चाची की जगह *आंटी* ने ले ली..!
पिता जी *डैड* हो गये..!
भाई तो अब *ब्रो* हो गये..!
बेचारी बहन भी अब *सिस* हो गयी..!
दादी की लोरी तो अब *टांय टांय फिस्स* हो गयी।
जीती जागती माँ बच्चों के लिए *ममी* हो गयी..
! रोटी अब अच्छी कैसे लगे *मैग्गी जो इतनी यम्मी* हो गयी..!
गाय का आशियाना अब शहरों की *सड़कों* पर बचा है..!
विदेशी कुत्तों ने लोगों के कंधों पर बैठकर *इतिहास* रचा है..!
बहुत दुःखी हूँ ये सब देखकर दिल टूट रहा है..!
*हमारे द्वारा ही हमारी* *भारतीय सभ्यता का* *साथ छूट रहा है....* ☝ 🎯
👀 एक मेसेज *भारतीय सभ्यता के नाम..*.
कुछ नया है यहाँ
शुक्रवार, 9 सितंबर 2016
2 अक्टूबर को आयेगा महाप्रलय
केजरी की तपस्या
ज़िन्दगी" बदलने के लिए लड़ना पड़ता है..
"ज़िन्दगी" बदलने के लिए लड़ना पड़ता है..!
और आसान करने के लिए समझना पड़ता है..!
वक़्त आपका है, चाहो तो सोना बना लो
और
चाहो तो सोने में गुज़ार दो..!
अगर कुछ अलग करना है तो भीड़ से हटकर चलो..!
भीड़ साहस तो देती है पर पहचान छीन लेती है...!
मंज़िल ना मिले तब तक हिम्मत मत हारो और ना ही ठहरो....
क्योंकी,
पहाड़ से निकलने वाली नदियों ने आज तक रास्ते में किसीसे नहीं पूछा..
*समन्दर कितना दूर है*
इंटरव्यू का शॉर्टकट
एक नवयुवक आईएएस का इंटरव्यू देन
गया।
उससे पूछा गया
भारत को आजा़दी कब मिली?
...
.
उसने कहा "प्रयास तो काफी पहले शुरू हो गए थे पर
सफलता 1947 में मिली।"
.
.
.
फिर उससे पूछा गया, "हमें आजा़दी दिलाने में
महत्वपूर्ण भुमिका किसने निभाई ?"
.
.
.
वह बोला, "इसमें कई लोगों का योगदान रहा,
किसका नाम बताऊं?
.
.
यदि किसी एक का नाम लेता हूं तो अन्य के साथ
अन्याय होगा।"
.
.
"क्या भ्रष्टाचार हमारे देश का सबसे बड़ा दुश्मन है?"
.
.
.
.
"इस बारे में शोध चल रहा है।
सही उत्तर मैं तभी दे पाऊंगा जब रिपोर्ट देख लूं।"
.
.
.
इंटरव्यू बोर्ड इस नवयुवक के ओरिजनल उत्तरों से
बेहद खुश हुआ।
.
.
.
उन्होंने नवयुवक को जाने को कहा, पर यह हिदायत
दी कि वह बाहर बैठे अन्य उम्मीदवारों को ये प्रश्न
न बताए क्योंकि वे यही प्रश्न उनसे भी पूछेंगे।
.
.
.
...
जब नवयुवक बाहर आया तो अन्य उम्मीदवारों ने उससे
पूछा कि उससे क्या प्रश्न पूछे गए हैं।
.
.
.
इसने बताने से इन्कार कर दिया।
.
.
तब मुल्ला जी ने कहा कि यदि प्रश्न नहीं बता सकते तो
उत्तर ही बता दो। तब
नवयुवक ने चुपके से सिर्फ मुल्ला जी को उत्तर बता दिए।
.
.
अब मुल्ला गया इंटरव्यू देने।
.
.
इंटरव्यू बोर्ड ने उससे पूछा
.
"आपकी जन्मतिथि क्या है?"
.
मुल्ला-" प्रयास तो काफी पहले शुरू हो गए थे पर सफलता
1947 में मिली। " '😳😳😳
.
..
इंटरव्यू बोर्ड वाले कन्फ्यूज हो गए। उन्होंने अगला
प्रश्न दागा,
.
"आपके पिताजी का नाम क्या है?"
..
मुल्ला "इसमें कई लोगों का योगदान रहा, किसका नाम
बताऊं? यदि किसी एक का नाम लेता हूं तो अन्य के
साथ अन्याय होगा।" 😂😂😂
.
.
बोर्ड वाले हक्के बक्के रह गए। उन्होंने कहा,
.
"क्या तुम पागल हो गए हो?"
.
मुल्ला -"इस बारे में शोध चल रहा है। सही उत्तर मैं तभी
दे पाऊंगा जब रिपोर्ट देख लूंगा......
ये तो पक्का नया है।.....😘
अब Share करने में कंजूसी मत करना।
गुरुवार, 8 सितंबर 2016
जनरल फ़ॉर जनरल ओ बी सी फ़ॉर ओ बी सी और यस सी फ़ॉर यस सी
उत्तरप्रदेश के हाथरस में जातिगत आरक्षण को मुँह तोड़ जवाब दिया एक कॉलेज के प्रिंसिपल
जिनका नाम वीरेंद्र पुरी है।
उन्होंने सभी छात्रो को GENERAL और OBC/SC/ST जैसे कि सरकार ने जातिगत आरक्षण में बाँटा है ठीक उसी प्रकार A B C D कक्षाओ में बाँट दिया।
और ऐसे ही शिक्षको को जैसे जनरल छात्रो को जनरल शिक्षक
ओबीसी को ओबीसी
और SC को SC के शिक्षक
और ST को ST के शिक्षक पढ़ाएंगे।
इस फार्मूले को वीरेन्द्र पुरी जी ने खोजा इसलिए इसे चाणक्य #फार्मूला कहा जा रहा है
जल्दी ही इसे, चिकित्सा के क्षेत्र में भी लागू करने की योजना है।
सभी अच्छे लोग इसके समर्थन में हैं।
मुझे व्यतिगत तौर पर यह सिस्टम बहुत अच्छा लगा।
इसे पुरे देश में लागू होना चाहिए।
आपकी क्या राय है ?
जरूर बताये
आखिर पोल तो खुले इस आरक्षण की।
सहमत हों तो कृप्या देश हित में शेयर करें।
3 जी से 4 जी में बदले अपने पुराने मोबाइल को
जिओ ने सभी टेलीकॉम कंपनियों के पसीना छुड़ा दिए है। रिलायंस अपने सभी ग्राहकों को फ्री में सिम दे रहा है, लेकिन यह सिम केवल 4जी स्मार्टफोन्स पर ही काम करता है। अगर आप इस सिम को किसी भी 3जी हैंडसेट, में लगाते हैं तो उसमें सिग्नल बार नहीं दिखाई देगा, तो आइये हम आपको कुछ ऐसा बताने जा रहे हैं जिसके बाद आप 3जी मोबाइल फ़ोन में भी 4जी का मजा ले सकते हैं।
खबर है कि एक ऐसा मोबाइल एप है जिसके जरिए जिओ 4जी सिम को 3जी हैंडसेट चलाकर काम में लिया जा सकता है। इसके लिए केवल आपको 5 स्टेप्स फॉलो करने हैं।
आप 3जी फ़ोन में 4जी का मजा तभी ले सकते हैं जब आपके मोबाइल फ़ोन में एंड्रायड 4.4 किटकैट या इससे ऊपर के वर्जन पर काम करने वाला होना चाहिए तथा साथ ही फोन का प्रोसेसर मीडियाटेक चिपसेट से लैस होना चाहिए।
अगर अप भी लेना चाहते है 4जी नेट का मजा तो सबसे पहले एमटीके इंजिनियरिंग एप (MTK Engineering App) को डाउनलोड कर इंस्टॉल करें। जी हां बता दें इसे सर्विस मोड के नाम से भी जाना जाता है। इसके बाद इस एप को ओपन करें। यहां आपको अपने मोबाइल का स्पेसिफिक कोड डालना हैं। इसके बाद एमटीके सेटिंग्स पर टैप करें। इसके बाद Preferred Network ऑप्शन को सलेक्ट करें। नेटवर्क मोड 4जी एलटीई, डब्ल्यूसीडिएमए या जीएसएम सलेक्ट करें। सेटिंग्स को सेव करके अपना मोबाइल फोन रीस्टार्ट करें। इसके बाद आपके 3जी मोबाइल फोन में रिलायंस जिओ की 4जी सिम एक्टिव हो जाएगी और काम करना शुरू कर देगी।
आप 3जी फ़ोन में 4जी का मजा तभी ले सकते हैं जब आपके मोबाइल फ़ोन में एंड्रायड 4.4 किटकैट या इससे ऊपर के वर्जन पर काम करने वाला होना चाहिए तथा साथ ही फोन का प्रोसेसर मीडियाटेक चिपसेट से लैस होना चाहिए।
अगर अप भी लेना चाहते है 4जी नेट का मजा तो सबसे पहले एमटीके इंजिनियरिंग एप (MTK Engineering App) को डाउनलोड कर इंस्टॉल करें। जी हां बता दें इसे सर्विस मोड के नाम से भी जाना जाता है। इसके बाद इस एप को ओपन करें। यहां आपको अपने मोबाइल का स्पेसिफिक कोड डालना हैं। इसके बाद एमटीके सेटिंग्स पर टैप करें। इसके बाद Preferred Network ऑप्शन को सलेक्ट करें। नेटवर्क मोड 4जी एलटीई, डब्ल्यूसीडिएमए या जीएसएम सलेक्ट करें। सेटिंग्स को सेव करके अपना मोबाइल फोन रीस्टार्ट करें। इसके बाद आपके 3जी मोबाइल फोन में रिलायंस जिओ की 4जी सिम एक्टिव हो जाएगी और काम करना शुरू कर देगी।
शनिवार, 3 सितंबर 2016
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किसान का इंटरव्यू
एक टी.वी. पत्रकार एक????किसान का इंटरव्यू
ले रहा था…
.
.
????पत्रकार : आप बकरे को
क्या खिलाते हैं…??????
.
किसान : काले को या
सफ़ेद को…??
.
पत्रकार : सफ़ेद को..????????
.
किसान : घाँस..
.
????पत्रकार : और काले को.??
.
किसान : उसे भी घाँस..
.
????पत्रकार : आप इन बकरों
को बांधते कहाँ हो.??
.
????किसान : काले को या
सफ़ेद को…??
.
पत्रकार : सफ़ेद को..
.
किसान : बाहर के कमरे में..
.
????पत्रकार : और काले को…??
.
किसान : उसे भी बाहर
के कमरे में…
.
????पत्रकार : और इन्हें नहलाते
कैसे हो…??
.
किसान : किसे काले को
या सफ़ेद को…??????????
.
पत्रकार : काले को..
.
किसान : जी पानी से..
.
पत्रकार : और सफ़ेद को.??????????
.
किसान : जी उसे भी पानी से..
.
पत्रकार का गुस्सा सातवें
आसमान पर,
बोला : कमीने ! जब दोनों
के साथ सब कुछ एक
जैसा करता है, तो मुझसे
बार-बार क्यों पूछता है..
काला या सफ़ेद…????????????????????
.
किसान : क्योंकि काला
बकरा मेरा है…????????
.
पत्रकार : और सफ़ेद बकरा??
.
किसान : वो भी मेरा है…
.
पत्रकार बेहोश…
.
होश आने पे किसान बोला
अब पता चला कमीने
जब तुम एक ही news
को सारा दिन घुमा फिरा
के दिखाते हो हम भी
ऐसे ही दुखी होते है।
ले रहा था…
.
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क्या खिलाते हैं…??????
.
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जैसा करता है, तो मुझसे
बार-बार क्यों पूछता है..
काला या सफ़ेद…????????????????????
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किसान : क्योंकि काला
बकरा मेरा है…????????
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पत्रकार : और सफ़ेद बकरा??
.
किसान : वो भी मेरा है…
.
पत्रकार बेहोश…
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होश आने पे किसान बोला
अब पता चला कमीने
जब तुम एक ही news
को सारा दिन घुमा फिरा
के दिखाते हो हम भी
ऐसे ही दुखी होते है।
वन्दे मातरम!
[11:39 AM, 9/2/2016] Ravi Pandey: पतंजली अपने शैशव काल में थी। तब सिर्फ १,१०० करोड़ रूपए की कंपनी थी। आज पतंजली ५,००० करोड़ रूपए की कंपनी है अगले वित्तीय वर्ष का १०,००० करोड़ रु. का लक्ष्य रखा है बाबा ने। इसके अलावा, आगे बाबा की सबसे बड़ी और सबसे महत्वाकांक्षी योजना जिसपर बाबा ने काम शुरू कर दिया है, वो है, शिक्षा के क्षेत्र में!
आपको ये जान कर प्रसन्नता होगी कि बाबा ने भारत सरकार के मानव संसाधन & विकास मंत्रालय, माने ministry of HRD से देश में विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए एक वैदिक board की स्थापना के लिए अनुमति मांगी है। जैसे देश में CBSE, ICSE और तमाम राज्यों के शिक्षा बोर्ड हैं, मुसलमानों की दीनी तालीम के लिए मदरसा board है, उसी प्रकार बाबा रामदेव ने भारत सरकार से देश में एक वैदिक board की स्थापना के लिए अर्ज़ी दी है। इस नए वैदिक board में देश की पुरातन गुरुकुल शिक्षा पद्धति को आधुनिक काल के हिसाब से remodel कर पुनर्जीवित करने का प्रयास है!
भारत की शिक्षा व्यवस्था पिछले ६८ साल से वामपंथियो के चंगुल में फंसी रही! वामपंथियों का शुरू से एक ही agenda रहा - भारत के गौरवशाली इतिहास को, संस्कृति को, हमारी सभ्यता को demean कर, बदनाम कर, नीचा दिखाओ और secularism के agenda के तहत भारत के मध्यकालीन इतिहास को, जब हम मुसलमानों के आधीन रहे, उस इतिहास को बच्चों को पढ़ाओ!
हमारे नायकों को पीछे धकेल अकबर, शाहजहाँ, औरंगज़ेब और टीपू सुलतान जैसे hero पैदा करो और राणा प्रताप, शिवाजी को भुला दो! अंग्रेजों की शिक्षा पद्धति को आगे बढ़ाओ जो leader नहीं बल्कि clerk, नौकर और stenographer पैदा करती है। विद्यार्थियों में सोचने और analysis करने की क्षमता को ख़त्म करती है आधुनिक शिक्षा पद्धति। इसमें पूरा focus सिर्फ रट्टे मार के exam पास करने पे होता है।
बाबा रामदेव ने जो वैदिक board की परिकल्पना की है, उसमे विद्यार्थियों को भारत का गौरवशाली अतीत, इतिहास, संस्कृति और परम्परा से परिचित कराने का प्रयास है!
हमारे वैदिक ग्रन्थ, वेद, उपनिषद, दर्शनशास्त्र जिन्हें आज की शिक्षा छूना भी नहीं चाहती! आधुनिक पाठ्यक्रम के साथ वेद, उपनिषद् भी पढ़ाये जाएँ। ऐसे एक शिक्षा बोर्ड की स्थापना चाहते हैं बाबा रामदेव जी!
इसको और अधिक सरल करके बताऊँ तो स्कूल में CBSE के 5 subject हिंदी, अंग्रेजी, Maths, Science और SSD के साथ एक नया stream, एक नया subject, वेद उपनिषद् भी जोड़ दिया! योग को अनिवार्य कर दिया!अब आप सोचेंगे कि बच्चे overload होंगे? जी नहीं! बिलकुल नहीं आज NCERT कहती है कि विद्यार्थियों को सिर्फ 5 पुस्तक पढ़ाई जाएं, पर हमारे private स्कूल 17 पुस्तकें लगा के रखते हैं!
वैदिक बोर्ड में NCERT की उन 5 पुस्तकों के साथ सिर्फ एक पुस्तक जोड़ दी जायेगी - वैदिक शिक्षा! विद्यार्थी जब 12 साल इस बोर्ड से पढ़ के निकलेगा तो उसे ये पता होगा कि, भगत सिंह कोई terrorist नहीं, बल्कि स्वतंत्रता सेनानी थे, और औरंज़ेब कोई महान राजा नहीं, बल्कि एक आततायी था!
बाबा रामदेव ने आचार्यकुलम के नाम से ऐसा एक वैदिक स्कूल शुरू कर भी दिया है जिसमे बच्चे सुबह उठ के योग करते हैं, यज्ञ करते हैं और फिर उसके बाद दिन में CBSE की पढ़ाई करते हैं। इसके अलावा देश भर में 9 अन्य आचार्यकुलम और बन रहे हैं। अगले 10 साल में देश में 1,000 आचार्यकुलम स्थापित करने का plan है बाबा का।
ये आचार्यकुलम Residential Schools होंगे, जो प्रस्तावित वैदिक बोर्ड से मान्यता प्राप्त होंगे और पूरी तरह गुरुकुल पद्धति से शिक्षा देंगे।
बाबा रामदेव इसके लिए देश भर में दान दाताओं से 5 एकड़ जमीन मांग रहे हैं! आपके बाप दादाओं के नाम आचार्यकुलम!
यदि एक अकेली JNU इतने वामपंथी साँप के पिल्ले पैदा कर सकती है, तो 1,000 आचार्य कुलम कितने देश भक्त पैदा करेंगे!
वन्दे मातरम!
मैंने तो शेयर कर दिया, कृपया करके आप भी शेयर जरूर करें!
[11:39 AM, 9/2/2016] Ravi Pandey: 🙏
आपको ये जान कर प्रसन्नता होगी कि बाबा ने भारत सरकार के मानव संसाधन & विकास मंत्रालय, माने ministry of HRD से देश में विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए एक वैदिक board की स्थापना के लिए अनुमति मांगी है। जैसे देश में CBSE, ICSE और तमाम राज्यों के शिक्षा बोर्ड हैं, मुसलमानों की दीनी तालीम के लिए मदरसा board है, उसी प्रकार बाबा रामदेव ने भारत सरकार से देश में एक वैदिक board की स्थापना के लिए अर्ज़ी दी है। इस नए वैदिक board में देश की पुरातन गुरुकुल शिक्षा पद्धति को आधुनिक काल के हिसाब से remodel कर पुनर्जीवित करने का प्रयास है!
भारत की शिक्षा व्यवस्था पिछले ६८ साल से वामपंथियो के चंगुल में फंसी रही! वामपंथियों का शुरू से एक ही agenda रहा - भारत के गौरवशाली इतिहास को, संस्कृति को, हमारी सभ्यता को demean कर, बदनाम कर, नीचा दिखाओ और secularism के agenda के तहत भारत के मध्यकालीन इतिहास को, जब हम मुसलमानों के आधीन रहे, उस इतिहास को बच्चों को पढ़ाओ!
हमारे नायकों को पीछे धकेल अकबर, शाहजहाँ, औरंगज़ेब और टीपू सुलतान जैसे hero पैदा करो और राणा प्रताप, शिवाजी को भुला दो! अंग्रेजों की शिक्षा पद्धति को आगे बढ़ाओ जो leader नहीं बल्कि clerk, नौकर और stenographer पैदा करती है। विद्यार्थियों में सोचने और analysis करने की क्षमता को ख़त्म करती है आधुनिक शिक्षा पद्धति। इसमें पूरा focus सिर्फ रट्टे मार के exam पास करने पे होता है।
बाबा रामदेव ने जो वैदिक board की परिकल्पना की है, उसमे विद्यार्थियों को भारत का गौरवशाली अतीत, इतिहास, संस्कृति और परम्परा से परिचित कराने का प्रयास है!
हमारे वैदिक ग्रन्थ, वेद, उपनिषद, दर्शनशास्त्र जिन्हें आज की शिक्षा छूना भी नहीं चाहती! आधुनिक पाठ्यक्रम के साथ वेद, उपनिषद् भी पढ़ाये जाएँ। ऐसे एक शिक्षा बोर्ड की स्थापना चाहते हैं बाबा रामदेव जी!
इसको और अधिक सरल करके बताऊँ तो स्कूल में CBSE के 5 subject हिंदी, अंग्रेजी, Maths, Science और SSD के साथ एक नया stream, एक नया subject, वेद उपनिषद् भी जोड़ दिया! योग को अनिवार्य कर दिया!अब आप सोचेंगे कि बच्चे overload होंगे? जी नहीं! बिलकुल नहीं आज NCERT कहती है कि विद्यार्थियों को सिर्फ 5 पुस्तक पढ़ाई जाएं, पर हमारे private स्कूल 17 पुस्तकें लगा के रखते हैं!
वैदिक बोर्ड में NCERT की उन 5 पुस्तकों के साथ सिर्फ एक पुस्तक जोड़ दी जायेगी - वैदिक शिक्षा! विद्यार्थी जब 12 साल इस बोर्ड से पढ़ के निकलेगा तो उसे ये पता होगा कि, भगत सिंह कोई terrorist नहीं, बल्कि स्वतंत्रता सेनानी थे, और औरंज़ेब कोई महान राजा नहीं, बल्कि एक आततायी था!
बाबा रामदेव ने आचार्यकुलम के नाम से ऐसा एक वैदिक स्कूल शुरू कर भी दिया है जिसमे बच्चे सुबह उठ के योग करते हैं, यज्ञ करते हैं और फिर उसके बाद दिन में CBSE की पढ़ाई करते हैं। इसके अलावा देश भर में 9 अन्य आचार्यकुलम और बन रहे हैं। अगले 10 साल में देश में 1,000 आचार्यकुलम स्थापित करने का plan है बाबा का।
ये आचार्यकुलम Residential Schools होंगे, जो प्रस्तावित वैदिक बोर्ड से मान्यता प्राप्त होंगे और पूरी तरह गुरुकुल पद्धति से शिक्षा देंगे।
बाबा रामदेव इसके लिए देश भर में दान दाताओं से 5 एकड़ जमीन मांग रहे हैं! आपके बाप दादाओं के नाम आचार्यकुलम!
यदि एक अकेली JNU इतने वामपंथी साँप के पिल्ले पैदा कर सकती है, तो 1,000 आचार्य कुलम कितने देश भक्त पैदा करेंगे!
वन्दे मातरम!
मैंने तो शेयर कर दिया, कृपया करके आप भी शेयर जरूर करें!
[11:39 AM, 9/2/2016] Ravi Pandey: 🙏
न दैन्यं न पलायनम्
अंग्रेजी में एक शब्द है, मिड लाइफ क्राइसिस। शाब्दिक अर्थ तो "बीच जीवन का दिग्भ्रम" हुआ पर इसका सामान्य उपयोग मन की उस विचित्र स्थिति को बताने के लिये होता है जिसका निराकरण लगभग सभी को करना पडता है, देर सबेर। आप चाह लें तो यह दिग्भ्रम कभी भी हो सकता है पर 35 से 50 के बीच की अवस्था उन स्थितियों के लिये अधिक उपयुक्त है जिनकी चर्चा यहाँ की जा रही है।
जीवन में घटनाक्रम गतिमान रहता है और हम उसमें उलझे रहते हैं। जैसे जैसे स्थिरता आती है, हमारी उलझन कम होने लगती है और सुलझन की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है, जिसे सार्थक चिन्तन भी कहते हैं। पहले पढ़ाई, प्रतियोगी परीक्षायें, नौकरी, विवाह, बच्चों का लालन पालन, यह सब होते होते सहसा एक स्थिति पहुँच आती है, जब लगता है कि अब आगे क्या? कुछ लोगों का भौतिकता के प्रति अति उन्माद नौकरियाँ बदलने व अकूत सम्पदा एकत्र करने में व्यक्त होता है, उनके लिये थोड़ा देर से यह प्रश्न उठता है पर यह प्रश्न उठता अवश्य है, हर जीवन में। जब तक ऊँचाईयाँ दिखती रहती हैं, हम चढ़ते रहते हैं, जब जीवन का समतल सपाट आ जाता है, हमें दिग्भ्रम हो जाता है कि अब किस दिशा जायें?
जीवन में एकरूपता, उन्हीं चेहरों को नित्य देखना, रोचकता का लुप्त हो जाना, यह सब मन को रह रह कर विचलित करता है। मन का गुण है बदलाव, उसे संतुष्ट करने के लिये बदलाव होते रहना चाहिये। जब बदलाव की गति शून्यप्राय होने लगती है, मन व्यग्र होने लगता है। अब सामान्य जीवन में 35 वर्ष के बाद तेज गति से बदलाव लाने के लिये तो बहुत उछल कूद करनी होगी, नहीं तो भला कैसे आ पायेगा बदलाव?
अब कई लोग जिन्होने स्वयं के बारे में कभी कुछ सोचा ही नहीं, उन्हें यह स्थिति सोचने के लिये प्रेरित करती है और उनके लिये चिन्तन की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी रहते हैं जिन्हें यह स्थिरता नहीं सुहाती है और वह अपने जीवन में गति बनाये रखने के लिये कुछ नया ढूढ़ने लगते हैं। स्वयं की खोज करें या स्वयं को इतना व्यस्त रखें कि मन को कोई कष्ट न हो, इस दुविधा का नाम ही जीवन दिग्भ्रम है।
अपनी उपयोगिता पर सन्देह और सारे निकटस्थों पर उसका दोष, कि कोई उन्हें समझ नहीं पा रहा है। यह दो लक्षण हैं सम्भवतः इस दिग्भ्रम के। जो इसे पार कर ले जाता है, सफलतापूर्वक, उसे जीवन में कभी कोई मानसिक कष्ट नहीं आता है। जो इसे टालता रहता है, उसे इसकी और अधिक जटिलता झेलनी पड़ती है। यही एक अवस्था भी होती है जिसे जीवन में संक्रमणकाल भी कहते हैं। यही समय होता है जब आप अपने निर्णय लेते हुये जीवन को एक निश्चित दिशा दे जाते हैं, सारे दिग्भ्रमों से परे।
समस्या सबकी है, उपाय एक ही है। अपने जीवन पर एक बार नये सिरे से सोच अवश्य लें, हो सकता है कि एक नये व्यक्तित्व को पा जायें आप अपने अन्दर, हो सकता है कि आप स्वयं को पहचान जायें। कुछ इस प्रक्रिया को जीवन समेटना कहते हैं, कुछ इसे सार्थक जीवन की संज्ञा देते हैं, अन्ततः दिग्भ्रम कुछ न कुछ तो सिखा ही जाते हैं। वैसे भी जीवन से सम्बन्धित सारा ज्ञान हम अपने शैक्षणिक जीवन में ही नहीं सीख जाते हैं, हमारा अनुभव सतत हमें कुछ न कुछ सिखाता रहता है। कई परिस्थितियाँ जीवन के पथ पर ऐसे प्रश्न छोड़ देती हैं जिनको सम्हालने में पूरा अस्तित्व झंकृत हो जाता है। कोई भी झटका खाकर आहत हों तो चोट झाड़ने के पहले ही यह प्रश्न स्वयं से पूछ लें कि क्या सीखा इससे?
जो इसे पार कर चुके हैं, वे यह पढ़कर मुस्करा रहे होंगे। जो अभी यहाँ पर पहुँच रहे हैं, उन्हें यह व्यर्थ का आलाप लगेगा। जो इस दिग्भ्रम में मेरे साथ हैं, वे पुनः यह पढ़ेंगे।
जीवन में घटनाक्रम गतिमान रहता है और हम उसमें उलझे रहते हैं। जैसे जैसे स्थिरता आती है, हमारी उलझन कम होने लगती है और सुलझन की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है, जिसे सार्थक चिन्तन भी कहते हैं। पहले पढ़ाई, प्रतियोगी परीक्षायें, नौकरी, विवाह, बच्चों का लालन पालन, यह सब होते होते सहसा एक स्थिति पहुँच आती है, जब लगता है कि अब आगे क्या? कुछ लोगों का भौतिकता के प्रति अति उन्माद नौकरियाँ बदलने व अकूत सम्पदा एकत्र करने में व्यक्त होता है, उनके लिये थोड़ा देर से यह प्रश्न उठता है पर यह प्रश्न उठता अवश्य है, हर जीवन में। जब तक ऊँचाईयाँ दिखती रहती हैं, हम चढ़ते रहते हैं, जब जीवन का समतल सपाट आ जाता है, हमें दिग्भ्रम हो जाता है कि अब किस दिशा जायें?
जीवन में एकरूपता, उन्हीं चेहरों को नित्य देखना, रोचकता का लुप्त हो जाना, यह सब मन को रह रह कर विचलित करता है। मन का गुण है बदलाव, उसे संतुष्ट करने के लिये बदलाव होते रहना चाहिये। जब बदलाव की गति शून्यप्राय होने लगती है, मन व्यग्र होने लगता है। अब सामान्य जीवन में 35 वर्ष के बाद तेज गति से बदलाव लाने के लिये तो बहुत उछल कूद करनी होगी, नहीं तो भला कैसे आ पायेगा बदलाव?
अब कई लोग जिन्होने स्वयं के बारे में कभी कुछ सोचा ही नहीं, उन्हें यह स्थिति सोचने के लिये प्रेरित करती है और उनके लिये चिन्तन की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी रहते हैं जिन्हें यह स्थिरता नहीं सुहाती है और वह अपने जीवन में गति बनाये रखने के लिये कुछ नया ढूढ़ने लगते हैं। स्वयं की खोज करें या स्वयं को इतना व्यस्त रखें कि मन को कोई कष्ट न हो, इस दुविधा का नाम ही जीवन दिग्भ्रम है।
अपनी उपयोगिता पर सन्देह और सारे निकटस्थों पर उसका दोष, कि कोई उन्हें समझ नहीं पा रहा है। यह दो लक्षण हैं सम्भवतः इस दिग्भ्रम के। जो इसे पार कर ले जाता है, सफलतापूर्वक, उसे जीवन में कभी कोई मानसिक कष्ट नहीं आता है। जो इसे टालता रहता है, उसे इसकी और अधिक जटिलता झेलनी पड़ती है। यही एक अवस्था भी होती है जिसे जीवन में संक्रमणकाल भी कहते हैं। यही समय होता है जब आप अपने निर्णय लेते हुये जीवन को एक निश्चित दिशा दे जाते हैं, सारे दिग्भ्रमों से परे।
समस्या सबकी है, उपाय एक ही है। अपने जीवन पर एक बार नये सिरे से सोच अवश्य लें, हो सकता है कि एक नये व्यक्तित्व को पा जायें आप अपने अन्दर, हो सकता है कि आप स्वयं को पहचान जायें। कुछ इस प्रक्रिया को जीवन समेटना कहते हैं, कुछ इसे सार्थक जीवन की संज्ञा देते हैं, अन्ततः दिग्भ्रम कुछ न कुछ तो सिखा ही जाते हैं। वैसे भी जीवन से सम्बन्धित सारा ज्ञान हम अपने शैक्षणिक जीवन में ही नहीं सीख जाते हैं, हमारा अनुभव सतत हमें कुछ न कुछ सिखाता रहता है। कई परिस्थितियाँ जीवन के पथ पर ऐसे प्रश्न छोड़ देती हैं जिनको सम्हालने में पूरा अस्तित्व झंकृत हो जाता है। कोई भी झटका खाकर आहत हों तो चोट झाड़ने के पहले ही यह प्रश्न स्वयं से पूछ लें कि क्या सीखा इससे?
जो इसे पार कर चुके हैं, वे यह पढ़कर मुस्करा रहे होंगे। जो अभी यहाँ पर पहुँच रहे हैं, उन्हें यह व्यर्थ का आलाप लगेगा। जो इस दिग्भ्रम में मेरे साथ हैं, वे पुनः यह पढ़ेंगे।
Charitra
जिसका जैसा "चरित्र" होता है
उसका वैसा ही "मित्र" होता है ।
"शुद्धता" होती है "विचारों"में
"आदमी" कब "पवित्र" होता है ।
फूलो में भी कीड़े पाये जाते हैं..,
पत्थरों में भी हीरे पाये जाते हैं.., बुराई को छोड़कर अच्छाई देखिये तो सही.., नर में भी नारायण पाये जाते हैं..!!
उसका वैसा ही "मित्र" होता है ।
"शुद्धता" होती है "विचारों"में
"आदमी" कब "पवित्र" होता है ।
फूलो में भी कीड़े पाये जाते हैं..,
पत्थरों में भी हीरे पाये जाते हैं.., बुराई को छोड़कर अच्छाई देखिये तो सही.., नर में भी नारायण पाये जाते हैं..!!
The Right way
क्या कभी आप लोगो मे से...
किसीने भी गौर किया की...
Whatsapp पे सभी...
left side जा रहे है...
👇
🚶 🏃 🐒 🐢 🐠 🐟
🐬🐝 🐛 🐜 🐍 🐋
🐊 🐆🐅 🐏 🐑 🐄
🐃 🐂 🐖🐀 🐇🐁
🐿 🐪 🐫 🐘🐓
🕊 🐕 🐩 🐈...
🚗 🚕 🚙 🚌 🚎
🏎 🚓 🚑 🚒 🚐
🚚 🚛 🚜🏍 🚲
🚝 🚄 🏇🏿 🚵🏽 🚈
🚂 🛥 ⛵ 🚤 🚁
⛴ 🚴🏌⛷⛹ 🏄...
बस इसी का नाटक ज्यादा है
👇
💃💃💃💃💃
😂😂😆😆😂😂
किसीने भी गौर किया की...
Whatsapp पे सभी...
left side जा रहे है...
👇
🚶 🏃 🐒 🐢 🐠 🐟
🐬🐝 🐛 🐜 🐍 🐋
🐊 🐆🐅 🐏 🐑 🐄
🐃 🐂 🐖🐀 🐇🐁
🐿 🐪 🐫 🐘🐓
🕊 🐕 🐩 🐈...
🚗 🚕 🚙 🚌 🚎
🏎 🚓 🚑 🚒 🚐
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बस इसी का नाटक ज्यादा है
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alladen ka chirag
एक गरीब लड़के को एक चिराग मिला💢🃏
उसने उठाया और रगड़ दिया
ज़ोरदार धमाका हुआ
खुद मर गया,
"अलादीन का ज़माना गया,
लावारीस वस्तुओं से दूर रहो
कुछ चीज़े अलादीन की नहीं, मुज्जाहिदीन की भी हो सकती हैं
😜😜😜😂😂😂😂
15 अगस्त के उपलक्ष्य में
जनहित में जारी👈🏾✍🏽
उसने उठाया और रगड़ दिया
ज़ोरदार धमाका हुआ
खुद मर गया,
"अलादीन का ज़माना गया,
लावारीस वस्तुओं से दूर रहो
कुछ चीज़े अलादीन की नहीं, मुज्जाहिदीन की भी हो सकती हैं
😜😜😜😂😂😂😂
15 अगस्त के उपलक्ष्य में
जनहित में जारी👈🏾✍🏽
प्राइमरी की कहानी
बहुत खतरनाक जोक...... जरुर पढे
आज विद्यालय में बहुत चहल पहल है
।
.
सब कुछ साफ - सुथरा , एक दम
सलीके से ।
.
सुना है निरीक्षण को कोई
साहब आने वाले हैं
।
.
पूरा विद्यालय चकाचक ।
.
नियत समय पर साहब विद्यालय
पहुंचे ।
.
ठिगना कद , रौबदार चेहरा , और
आँखें तो जैसे
जीते जी पोस्टमार्टम कर दें ।
.
पूरे परिसर के निरीक्षण के बाद
उनहोंने
कक्षाओं का रुख किया ।
.
कक्षा पांच के एक
विद्यार्थी को उठा कर
पूछा , बताओ देश का प्रधान
मंत्री कौन है ?
.
बच्चा बोला -जी राम लाल ।
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साहब बोले -बेटा प्रधान मंत्री ?
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बच्चा - रामलाल ।
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अब साहब गुस्साए - अबे तुझे पांच
में किसने
पहुंचाया ? पता है मैं तेरा नाम
काट
सकता हूँ ।
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बच्चा -
कैसे काटोगे ?
मेरा तो नाम ही नहीं लिखा है
।
मैं तो बाहर बकरी चरा रहा था ।
इस मास्टर ने कहा कक्षा में बैठ
जा दस रूपये
मिलेंगे ।
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तू तो ये बता रूपये तू
देगा या मास्टर ?
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साहब भुनभुनाते हुवे मास्टर
जी के पास गए ,
कडक आवाज में पूछा -
क्या मजाक बना रखा है ।
फर्जी बच्चे बैठा रखे हैं ।
पता है मैं तुम्हे नौकरी से बर्खास्त
कर सकता हूँ
।
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गुरूजी -
कर दे भाई ।
मैं कौन सा यहाँ का मास्टर हूँ ।
मास्टर
तो मेरा पड़ोसी दुकानदार है ।
वो दुकान का सामान लेने शहर
गया है।
कह रहा था एक खूसट साहब
आएगा , झेल लेना ।
.
अब तो साहब का गुस्सा सातवें
आसमान पर ।
पैर पटकते हुए प्रधानाध्यापक के
सामने जा पहुंचे
।
चिल्लाकर बोले ,
" क्या अंधेरगर्दी है
, शरम नहीं आती ।
क्या इसी के लिए तुम्हारे स्कूल
को सरकारी इमदाद मिलती है
।
पता है ,मैं तुम्हारे स्कूल
की मान्यता समाप्त
कर सकता हूँ
जवाब दो प्रिंसिपल साहब ।
.
प्रिंसिपल ने दराज से एक
सौ की गड्डी निकाल कर मेज
पर रखी और
बोला -
मैं कौन सा प्रिंसिपल हूँ
प्रिंसिपल तो मेरे चाचा हैं ।
प्रॉपर्टी डीलिंग भी करते हैं
आज एक सौदे का बयाना लेने
शहर गए हैं ।
कह रहे थे ,
एक कमबख्त निरीक्षण
को आएगा , उसके मुंह पे ये
गड्डी मारना और दफा करना ।
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साहब ने मुस्कराते हुए गड्डी जेब के
हवाले
की और बोले - आज बच गये तुम सब ।
अगर आज
मामाजी को सड़क के ठेके के
चक्कर में शहर
ना जाना होता , और
अपनी जगह वो मुझे
ना भेजते तो तुम में से एक
की भी नौकरी ना बचती ।
🤔🤔🤔
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