सोमवार, 19 सितंबर 2016

vichar kare



ओढ़ कर तिरंगा क्यों पापा आये है


शहीद जवान के बच्चे की दिल छू गई कविता ओढ़ के तिरंगा क्यों पापा आये है? माँ मेरा मन बात ये समझ ना पाये है, ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है। पहले पापा मुन्ना मुन्ना कहते आते थे, टॉफियाँ खिलोने साथ में भी लाते थे। गोदी में उठा के खूब खिलखिलाते थे, हाथ फेर सर पे प्यार भी जताते थे। पर ना जाने आज क्यूँ वो चुप हो गए, लगता है की खूब गहरी नींद सो गए। नींद से पापा उठो मुन्ना बुलाये है, ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है। फौजी अंकलों की भीड़ घर क्यूँ आई है, पापा का सामान साथ में क्यूँ लाई है। साथ में क्यूँ लाई है वो मेडलों के हार , आंख में आंसू क्यूँ सबके आते बार बार। चाचा मामा दादा दादी चीखते है क्यूँ, माँ मेरी बता वो सर को पीटते है क्यूँ। गाँव क्यूँ शहीद पापा को बताये है, ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है। माँ तू क्यों है इतना रोती ये बता मुझे, होश क्यूँ हर पल है खोती ये बता मुझे। माथे का सिन्दूर क्यूँ है दादी पोछती, लाल चूड़ी हाथ में क्यूँ बुआ तोडती। काले मोतियों की माला क्यूँ उतारी है, क्या तुझे माँ हो गया समझना भारी है। माँ तेरा ये रूप मुझे ना सुहाये है, ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है। पापा कहाँ है जा रहे अब ये बताओ माँ, चुपचाप से आंसू बहा के यूँ सताओ ना। क्यूँ उनको सब उठा रहे हाथो को बांधकर, जय हिन्द बोलते है क्यूँ कन्धों पे लादकर। दादी खड़ी है क्यूँ भला आँचल को भींचकर, आंसू क्यूँ बहे जा रहे है आँख मींचकर। पापा की राह में क्यूँ फूल ये सजाये है, ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है। क्यूँ लकड़ियों के बीच में पापा लिटाये है, सब कह रहे है लेने उनको राम आये है। पापा ये दादा कह रहे तुमको जलाऊँ मैं, बोलो भला इस आग को कैसे लगाऊं मैं। इस आग में समा के साथ छोड़ जाओगे, आँखों में आंसू होंगे बहुत याद आओगे। अब आया समझ माँ ने क्यूँ आँसू बहाये थे, ओढ़ के तिरंगा पापा घर क्यूँ आये थे ।।।

गुरुवार, 15 सितंबर 2016

29 Secret whatsapp tricks you never knew

Use whatsapp without any phone Number

Do you know you can use whatsapp without any phone number. Yes you heard it right. Follow the steps:
  1. Uninstall whatsapp from your mobile.
  2. Download whatsapp from play store.
  3. Turn the flight mode on.
  4. Download and install spoof messages app from play store
  5. Start the installation process.
  6. Now , It will not be able to verify you via internet and it will prompt you to choose alternate SMS Method.
  7. Now choose check through sms and enter your email.
  8. Instantly without waiting for any more time click on cancel and authorization process will stop.
  9. Now open the spoof messaging app and enter below details.

To
+447900347295
From: +(Country code)(mobile number)
Message: Your email address
It will now verify whatsapp for you and you will start using whatsapp.

Send all your conversation to your email

Most people wanted to view media and chats on their computer, but they are unaware of a shortcut that can send all the chat history and images, video to your inbox with one single click.
  1. Just go to whatsapp and press any contact for more than few seconds.
  2. A pop up menu will appear
  3.  Click on email conversation. Send your conversation via gmail or any other email.

 


Spy on someone else whatsapp

 

  1. Borrow your friends’ android phone which you want to spy for just one minute.
  2. Go to settings —> About phone —> Status—> Wi-Fi MAC address
  3. Note down the mac address. Keep the phone for few more minutes. we need it man.
  4. Now go to your phone and uninstall whatsapp.
  5. Change your Mac id to your friend’s one by spoofing mac.
  6. Now Download and install whatsapp on your phone. Whatsapp will send the verification code to your friend’s phone.
  7. verify your downloaded whatsapp by the verification code sent to your friend’s phone.
  8. You have installed exact replica of your friend’s whatsapp. Now whatever he or she will do, you can track it with your phone. Useful for parents and lovers. Do not use it for illegal purpose.

Stop someone from Knowing you read his message or not

You can also stop whatsapp from showing someone else read notification. That is , no one can find out you read their message or not. The only disadvantage is that once you check this option, You also can not determine when your message was read by other.
Steps:-
  1. Open your WhatsApp and tap three vertical dots icon on the top right of your screen.
  2. Now move to Settings > Account > Privacy.
  3. Uncheck Read receipts.
whatsapp-read-recieptRest information in next story

 


 

सुन्दर सन्देश


*Few* Beautiful *Messages* to Start *your day *Beautifully* __ 1. *जिदंगी* मे कभी भी किसी को बेकार मत समझना,क्योक़ि बंद पडी *घडी*भी दिन में दो बार सही समय बताती *है।* 2. *किसी* की बुराई तलाश करने वाले इंसान की मिसाल उस *मक्खी* की तरह है जो सारे खूबसूरत जिस्म को छोडकर केवल *जख्म* पर ही बैठती *है।* 3. *टूट* जाता है *गरीबी* मे वो *रिश्ता* जो खास होता है, हजारो यार बनते है जब *पैसा* पास होता *है।* 4. *मुस्करा* कर देखो तो सारा जहाॅ *रंगीन* है, वर्ना भीगी *पलको* से तो *आईना* भी धुधंला नजर आता *है।* 5. *जल्द* मिलने वाली *चीजे* ज्यादा दिन तक *नही* चलती, और जो चीजे ज्यादा दिन तक *चलती* है वो जल्दी नही *मिलती।* 6. *बुरे* दिनो का एक अच्छा *फायदा* अच्छे-अच्छे *दोस्त* *परखे* जाते है। 7. *बीमारी* खरगोश की तरह आती है और *कछुए* की तरह जाती है; जबकि *पैसा* कछुए की तरह आता है और *खरगोश* की *तरह* जाता है। 8. *छोटी* छोटी बातो मे *आनंद* खोजना चाहिए क्योकि *बङी *बङी* तो *जीवन* मे कुछ ही होती *है।* 9. *ईश्वर* से कुछ *मांगने* पर न मिले तो उससे *नाराज* ना होना *क्योकि* ईश्वर वह नही देता जो आपको अच्छा लगता है *बल्कि* वह देता है जो आपके लिए *अच्छा* होता *है* 10. *लगातार* हो रही असफलताओ से *निराश* नही होना *चाहिए* क्योक़ि कभी-कभी *गुच्छे*की *आखिरी* चाबी भी *ताला* खोल देती *है।* 11. *ये* सोच है हम *इसांनो* की कि एक *अकेला* क्या *कर* सकता है पर देख जरा उस *सूरज* को वो *अकेला* ही तो *चमकता है।* 12. *रिश्ते* चाहे कितने ही बुरे हो उन्हे तोङना मत क्योकि *पानी* चाहे कितना भी *गंदा* हो अगर *प्यास* नही बुझा सकता वो आग तो बुझा *सकता है।* 13. *अब* वफा की *उम्मीद* भी किस से करे भला *मिटटी* के बने लोग *कागजो* मे बिक *जाते है।* 14. *इंसान* की तरह *बोलना* न आये तो *जानवर की *तरह* मौन रहना *अच्छा* है। 15. *जब* हम बोलना नही जानते *थे* तो हमारे बोले *बिना'माँ'* हमारी बातो को *समझ* जाती थी। *और आज हम *हर* बात पर कहते है छोङो भी *'माँ'* आप नही *समझोंगी।* 16. *शुक्र* गुजार हूँ उन तमाम *लोगो* का जिन्होने बुरे *वक्त*_मे मेरा *साथ* छोङ दिया क्योकि उन्हे *भरोसा* था कि मै *मुसीबतो* से अकेले ही निपट *सकता* हूँ। 17. *शर्म*की *अमीरी* से *इज्जत* की *गरीबी *अच्छी* है। 18. *जिदंगी* मे उतार *चङाव* का आना बहुत *जरुरी है* क्योकि *ECG* मे सीधी *लाईन* का मतलब *मौत* ही होता है। 19. *रिश्ते* आजकल *रोटी* की *तरह*हो गए है जरा सी आंच *तेज* क्या हुई *जल* भुनकर *खाक* हो जाते। 20. *जिदंगी* मे अच्छे *लोगो की* तलाश मत *करो* खुद *अच्छे* बन जाओ *आपसे मिलकर *शायद* *किसी* की तालाश *पूरी हो।*

नानक के प्रवचन


टालस्टाय ने एक छोटी सी कहानी लिखी है। मृत्यु के देवता ने अपने एक दूत को भेजा पृथ्वी पर। एक स्त्री मर गयी थी, उसकी आत्मा को लाना था। देवदूत आया, लेकिन चिंता में पड़ गया। क्योंकि तीन छोटी-छोटी लड़कियां जुड़वां–एक अभी भी उस मृत स्त्री के स्तन से लगी है। एक चीख रही है, पुकार रही है। एक रोते-रोते सो गयी है, उसके आंसू उसकी आंखों के पास सूख गए हैं–तीन छोटी जुड़वां बच्चियां और स्त्री मर गयी है, और कोई देखने वाला नहीं है। पति पहले मर चुका है। परिवार में और कोई भी नहीं है। इन तीन छोटी बच्चियों का क्या होगा? उस देवदूत को यह खयाल आ गया, तो वह खाली हाथ वापस लौट गया। उसने जा कर अपने प्रधान को कहा कि मैं न ला सका, मुझे क्षमा करें, लेकिन आपको स्थिति का पता ही नहीं है। तीन जुड़वां बच्चियां हैं–छोटी-छोटी, दूध पीती। एक अभी भी मृत स्तन से लगी है, एक रोते-रोते सो गयी है, दूसरी अभी चीख-पुकार रही है। हृदय मेरा ला न सका। क्या यह नहीं हो सकता कि इस स्त्री को कुछ दिन और जीवन के दे दिए जाएं? कम से कम लड़कियां थोड़ी बड़ी हो जाएं। और कोई देखने वाला नहीं है। मृत्यु के देवता ने कहा, तो तू फिर समझदार हो गया; उससे ज्यादा, जिसकी मर्जी से मौत होती है, जिसकी मर्जी से जीवन होता है! तो तूने पहला पाप कर दिया, और इसकी तुझे सजा मिलेगी। और सजा यह है कि तुझे पृथ्वी पर चले जाना पड़ेगा। और जब तक तू तीन बार न हंस लेगा अपनी मूर्खता पर, तब तक वापस न आ सकेगा। इसे थोड़ा समझना। तीन बार न हंस लेगा अपनी मूर्खता पर–क्योंकि दूसरे की मूर्खता पर तो अहंकार हंसता है। जब तुम अपनी मूर्खता पर हंसते हो तब अहंकार टूटता है। देवदूत को लगा नहीं। वह राजी हो गया दंड भोगने को, लेकिन फिर भी उसे लगा कि सही तो मैं ही हूं। और हंसने का मौका कैसे आएगा? उसे जमीन पर फेंक दिया गया। एक चमार, सर्दियों के दिन करीब आ रहे थे और बच्चों के लिए कोट और कंबल खरीदने शहर गया था, कुछ रुपए इकट्ठे कर के। जब वह शहर जा रहा था तो उसने राह के किनारे एक नंगे आदमी को पड़े हुए, ठिठुरते हुए देखा। यह नंगा आदमी वही देवदूत है जो पृथ्वी पर फेंक दिया गया था। उस चमार को दया आ गयी। और बजाय अपने बच्चों के लिए कपड़े खरीदने के, उसने इस आदमी के लिए कंबल और कपड़े खरीद लिए। इस आदमी को कुछ खाने-पीने को भी न था, घर भी न था, छप्पर भी न था जहां रुक सके। तो चमार ने कहा कि अब तुम मेरे साथ ही आ जाओ। लेकिन अगर मेरी पत्नी नाराज हो–जो कि वह निश्चित होगी, क्योंकि बच्चों के लिए कपड़े खरीदने लाया था, वह पैसे तो खर्च हो गए–वह अगर नाराज हो, चिल्लाए, तो तुम परेशान मत होना। थोड़े दिन में सब ठीक हो जाएगा। उस देवदूत को ले कर चमार घर लौटा। न तो चमार को पता है कि देवदूत घर में आ रहा है, न पत्नी को पता है। जैसे ही देवदूत को ले कर चमार घर में पहुंचा, पत्नी एकदम पागल हो गयी। बहुत नाराज हुई, बहुत चीखी-चिल्लायी। और देवदूत पहली दफा हंसा। चमार ने उससे कहा, हंसते हो, बात क्या है? उसने कहा, मैं जब तीन बार हंस लूंगा तब बता दूंगा। देवदूत हंसा पहली बार, क्योंकि उसने देखा कि इस पत्नी को पता ही नहीं है कि चमार देवदूत को घर में ले आया है, जिसके आते ही घर में हजारों खुशियां आ जाएंगी। लेकिन आदमी देख ही कितनी दूर तक सकता है! पत्नी तो इतना ही देख पा रही है कि एक कंबल और बच्चों के पकड़े नहीं बचे। जो खो गया है वह देख पा रही है, जो मिला है उसका उसे अंदाज ही नहीं है–मुफ्त! घर में देवदूत आ गया है। जिसके आते ही हजारों खुशियों के द्वार खुल जाएंगे। तो देवदूत हंसा। उसे लगा, अपनी मूर्खता–क्योंकि यह पत्नी भी नहीं देख पा रही है कि क्या घट रहा है! जल्दी ही, क्योंकि वह देवदूत था, सात दिन में ही उसने चमार का सब काम सीख लिया। और उसके जूते इतने प्रसिद्ध हो गए कि चमार महीनों के भीतर धनी होने लगा। आधा साल होते-होते तो उसकी ख्याति सारे लोक में पहुंच गयी कि उस जैसा जूते बनाने वाला कोई भी नहीं, क्योंकि वह जूते देवदूत बनाता था। सम्राटों के जूते वहां बनने लगे। धन अपरंपार बरसने लगा। एक दिन सम्राट का आदमी आया। और उसने कहा कि यह चमड़ा बहुत कीमती है, आसानी से मिलता नहीं, कोई भूल-चूक नहीं करना। जूते ठीक इस तरह के बनने हैं। और ध्यान रखना जूते बनाने हैं, स्लीपर नहीं। क्योंकि रूस में जब कोई आदमी मर जाता है तब उसको स्लीपर पहना कर मरघट तक ले जाते हैं। चमार ने भी देवदूत को कहा कि स्लीपर मत बना देना। जूते बनाने हैं, स्पष्ट आज्ञा है, और चमड़ा इतना ही है। अगर गड़बड़ हो गयी तो हम मुसीबत में फंसेंगे। लेकिन फिर भी देवदूत ने स्लीपर ही बनाए। जब चमार ने देखे कि स्लीपर बने हैं तो वह क्रोध से आगबबूला हो गया। वह लकड़ी उठा कर उसको मारने को तैयार हो गया कि तू हमारी फांसी लगवा देगा! और तुझे बार-बार कहा था कि स्लीपर बनाने ही नहीं हैं, फिर स्लीपर किसलिए? देवदूत फिर खिलखिला कर हंसा। तभी आदमी सम्राट के घर से भागा हुआ आया। उसने कहा, जूते मत बनाना, स्लीपर बनाना। क्योंकि सम्राट की मृत्यु हो गयी है। भविष्य अज्ञात है। सिवाय उसके और किसी को ज्ञात नहीं। और आदमी तो अतीत के आधार पर निर्णय लेता है। सम्राट जिंदा था तो जूते चाहिए थे, मर गया तो स्लीपर चाहिए। तब वह चमार उसके पैर पकड़ कर माफी मांगने लगा कि मुझे माफ कर दे, मैंने तुझे मारा। पर उसने कहा, कोई हर्ज नहीं। मैं अपना दंड भोग रहा हूं। लेकिन वह हंसा आज दुबारा। चमार ने फिर पूछा कि हंसी का कारण? उसने कहा कि जब मैं तीन बार हंस लूं…। दुबारा हंसा इसलिए कि भविष्य हमें ज्ञात नहीं है। इसलिए हम आकांक्षाएं करते हैं जो कि व्यर्थ हैं। हम अभीप्साएं करते हैं जो कि कभी पूरी न होंगी। हम मांगते हैं जो कभी नहीं घटेगा। क्योंकि कुछ और ही घटना तय है। हमसे बिना पूछे हमारी नियति घूम रही है। और हम व्यर्थ ही बीच में शोरगुल मचाते हैं। चाहिए स्लीपर और हम जूते बनवाते हैं। मरने का वक्त करीब आ रहा है और जिंदगी का हम आयोजन करते हैं। तो देवदूत को लगा कि वे बच्चियां! मुझे क्या पता, भविष्य उनका क्या होने वाला है? मैं नाहक बीच में आया। और तीसरी घटना घटी कि एक दिन तीन लड़कियां आयीं जवान। उन तीनों की शादी हो रही थी। और उन तीनों ने जूतों के आर्डर दिए कि उनके लिए जूते बनाए जाएं। एक बूढ़ी महिला उनके साथ आयी थी जो बड़ी धनी थी। देवदूत पहचान गया, ये वे ही तीन लड़कियां हैं, जिनको वह मृत मां के पास छोड़ गया था और जिनकी वजह से वह दंड भोग रहा है। वे सब स्वस्थ हैं, सुंदर हैं। उसने पूछा कि क्या हुआ? यह बूढ़ी औरत कौन है? उस बूढ़ी औरत ने कहा कि ये मेरी पड़ोसिन की लड़कियां हैं। गरीब औरत थी, उसके शरीर में दूध भी न था। उसके पास पैसे-लत्ते भी नहीं थे। और तीन बच्चे जुड़वां। वह इन्हीं को दूध पिलाते-पिलाते मर गयी। लेकिन मुझे दया आ गयी, मेरे कोई बच्चे नहीं हैं, और मैंने इन तीनों बच्चियों को पाल लिया। अगर मां जिंदा रहती तो ये तीनों बच्चियां गरीबी, भूख और दीनता और दरिद्रता में बड़ी होतीं। मां मर गयी, इसलिए ये बच्चियां तीनों बहुत बड़े धन-वैभव में, संपदा में पलीं। और अब उस बूढ़ी की सारी संपदा की ये ही तीन मालिक हैं। और इनका सम्राट के परिवार में विवाह हो रहा है। देवदूत तीसरी बार हंसा। और चमार को उसने कहा कि ये तीन कारण हैं। भूल मेरी थी। नियति बड़ी है। और हम उतना ही देख पाते हैं, जितना देख पाते हैं। जो नहीं देख पाते, बहुत विस्तार है उसका। और हम जो देख पाते हैं उससे हम कोई अंदाज नहीं लगा सकते, जो होने वाला है, जो होगा। मैं अपनी मूर्खता पर तीन बार हंस लिया हूं। अब मेरा दंड पूरा हो गया और अब मैं जाता हूं। नानक जो कह रहे हैं, वह यह कह रहे हैं कि तुम अगर अपने को बीच में लाना बंद कर दो, तो तुम्हें मार्गों का मार्ग मिल गया। फिर असंख्य मार्गों की चिंता न करनी पड़ेगी। छोड़ दो उस पर। वह जो करवा रहा है, जो उसने अब तक करवाया है, उसके लिए धन्यवाद। जो अभी करवा रहा है, उसके लिए धन्यवाद। जो वह कल करवाएगा, उसके लिए धन्यवाद। तुम बिना लिखा चेक धन्यवाद का उसे दे दो। वह जो भी हो, तुम्हारे धन्यवाद में कोई फर्क न पड़ेगा। अच्छा लगे, बुरा लगे, लोग भला कहें, बुरा कहें, लोगों को दिखायी पड़े दुर्भाग्य या सौभाग्य, यह सब चिंता तुम मत करना। एक ओंकार सतनाम (गुरू नानक) प्रवचन–9

बुधवार, 14 सितंबर 2016

करतूत भाग -1


*सरकारें अरबपतियों के लाखों करोड़ के कर्जे माफ़ करती हैं और देश गर्त में गिरता जाता है।* इनमें से 95 प्रतिशत कर्जे बड़े और मझोले उद्योगों के करोड़पति मालिकों को दिये गये थे। यह रकम कितनी बड़ी है इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि अगर ये सारे कर्ज़दार अपना कर्ज़ा लौटा देते तो 2015 में देश में रक्षा, शिक्षा, हाईवे और स्वास्थ्य पर खर्च हुई पूरी राशि का खर्च इसी से निकल आता। इसमें हैरानी की कोई बात नहीं। _पूँजीपतियों के मीडिया में हल्ला मचा-मचाकर लोगों को यह विश्वास दिला दिया जाता है कि अर्थव्यवस्था में घाटे के लिए आम लोग ज़िम्मेदार हैं क्योंकि वे अपने पूरे टैक्स नहीं चुकाते, बिल नहीं भरते, या शिक्षा, अस्पताल, खेती आदि में सरकारी सब्सिडी बहुत अधिक है, आदि-आदि।_ ये सब बकवास है। _देश की ग़रीब जनता कुल टैक्सों का तीन-चौथाई से भी ज़्यादा परोक्ष करों के रूप में चुकाती है।_ मगर इसका भारी हिस्सा नेताशाही और अफ़सरशाही की ऐयाशियों पर और धन्नासेठों को तमाम तरह की छूटें और रियायतें देने पर खर्च हो जाता है। *इतने से भी उनका पेट नहीं भरता तो वे बैंकों से भारी कर्जे लेकर उसे डकार जाते हैं।* ग़रीबों के कर्जे वसूल करने के लिए उनकी झोपड़ी तक नीलाम करवा देने वाली सरकार अपने इन माई-बापों से एक पैसा नहीं वसूल पाती और फिर कई साल बाद उन्हें माफ़ कर दिया जाता है। _दरअसल इस सारी रकम पर जनता का हक़ होता है। करोड़ों लोगों की छोटी-छोटी बचतों से बैंकों को जो भारी कमाई होती है, उसी में से वे ये दरियादिली दिखाते हैं।_ आइये अब ज़रा देखते हैं कि इन चोरों में से 10 सबसे बड़े चोर कौन हैं। 1. टॉप टेन में सबसे ऊपर हैं, अनिल अम्बानी का रिलायंस ग्रुप जो 1.25 लाख करोड़ रुपये का कर्ज़ दबाये बैठा है। 2. दूसरे नंबर पर है अपने कारखानों के लिए हज़ारों आदिवासियों को उजाड़ने वाला वेदान्ता ग्रुप जिस पर 1.03 लाख करोड़ कर्ज़ है। *वेदांता एक विदेशी कम्पनी है* भारतीयों को अपना दिखाने के लिए बस झाँसे का नाम है। 3. एस्सार ग्रुप पर 1.01 लाख करोड़ कर्ज़ है। 4. अडानी ग्रुप ने बैंकों के 96,031 करोड़ रुपये नहीं लौटाये हैं। इसके बाद भी उसे 6600 करोड़ रुपये के नये कर्ज़ की मंजूरी दे दी गयी थी लेकिन शोर मच जाने के कारण रद्द हो गयी। 5. जेपी ग्रुप पर 75,163 करोड़ का ऋण है। 6. सज्जन जिन्दल के जे.एस.डब्ल्यू. ग्रुप पर 58,171 करोड़ का कर्ज़ है। 7. जी.एम.आर. ग्रुप पर 47,975 करोड़ का ऋण है। 8. लैंको ग्रुप पर 47,102 करोड़ का ऋण है। 9. सांसद वेणुगोपाल धूत की कंपनी वीडियोकॉन पर बैंकों का 45,405 करोड़ का ऋण है। 10. जीवीके ग्रुप कुल 33,933 करोड़ दबाये बैठा है जो 2015 में मनरेगा के लिए सरकारी बजट (34000 करोड़) से भी ज़्यादा है। *आप और हम अभी व्यस्त हैं अपनी धर्म और जाति पात की गूढ़ ज्ञान गंगा में और अपने अपने नेताओं की जिंदाबाद मुर्दाबाद में* हम आपस लड़ते मरते रहें, ...देश और देश की संपत्ति का क्या है वो तो हमारे यही महान नेता, धर्म गुरु और पूंजीपति मिल बाँट कर जल्द ही चट कर लेंगें। बस हम अपनी देशभक्ति भारत माता की जय तक सीमित रखें। 😳😡😩🙄

प्रेम ही सफल जीवन का राज है


Must share- 🙏🌷🙏 एक दिन एक औरत अपने घर के बाहर आई और उसने तीन संतों को अपने घर के सामने देखा। वह उन्हें जानती नहीं थी। 🌺 औरत ने कहा – “कृपया भीतर आइये और भोजन करिए।” 🌺 संत बोले – “क्या तुम्हारे पति घर पर हैं?” औरत ने कहा – “नहीं, वे अभी बाहर गए हैं।” 🌺 संत बोले – “हम तभी भीतर आयेंगे जब वह घर पर हों।” 🌺 शाम को उस औरत का पति घर आया और औरत ने उसे यह सब बताया। 🌺 औरत के पति ने कहा – “जाओ और उनसे कहो कि मैं घर आ गया हूँ और उनको आदर सहित बुलाओ।” 🌺 औरत बाहर गई और उनको भीतर आने के लिए कहा। 🌺 संत बोले – “हम सब किसी भी घर में एक साथ नहीं जाते।” “पर क्यों?” – औरत ने पूछा। उनमें से एक संत ने कहा – “मेरा नाम धन है” – फ़िर दूसरे संतों की ओर इशारा कर के कहा – “इन दोनों के नाम सफलता और प्रेम हैं। हममें से कोई एक ही भीतर आ सकता है। आप घर के अन्य सदस्यों से मिलकर तय कर लें कि भीतर किसे निमंत्रित करना है।” 🌺 औरत ने भीतर जाकर अपने पति को यह सब बताया। उसका पति बहुत प्रसन्न हो गया और बोला – “यदि ऐसा है तो हमें धन को आमंत्रित करना चाहिए। हमारा घर खुशियों से भर जाएगा।” लेकिन उसकी पत्नी ने कहा – “मुझे लगता है कि हमें सफलता को आमंत्रित करना चाहिए।” 🌺 उनकी बेटी दूसरे कमरे से यह सब सुन रही थी। वह उनके पास आई और बोली – “मुझे लगता है कि हमें प्रेम को आमंत्रित करना चाहिए। प्रेम से बढ़कर कुछ भी नहीं हैं।” 🌺 “तुम ठीक कहती हो, हमें प्रेम को ही बुलाना चाहिए” – उसके माता-पिता ने कहा। 🌺 औरत घर के बाहर गई और उसने संतों से पूछा – “आप में से जिनका नाम प्रेम है वे कृपया घर में प्रवेश कर भोजन गृहण करें।” 🌺 प्रेम घर की ओर बढ़ चले। बाकी के दो संत भी उनके पीछे चलने लगे। 🌺 औरत ने आश्चर्य से उन दोनों से पूछा – “मैंने तो सिर्फ़ प्रेम को आमंत्रित किया था। आप लोग भीतर क्यों जा रहे हैं?” 🌺 उनमें से एक ने कहा – “यदि आपने धन और सफलता में से किसी एक को आमंत्रित किया होता तो केवल वही भीतर जाता। आपने प्रेम को आमंत्रित किया है। प्रेम कभी अकेला नहीं जाता। प्रेम जहाँ- जहाँ जाता है, धन और सफलता उसके पीछे जाते हैं। 🌺 इस कहानी को एक बार, 2 बार, 3 बार पढ़ें .... अच्छा लगे तो प्रेम के साथ रहें, प्रेम बाटें, प्रेम दें और प्रेम लें क्योंकि प्रेम ही सफल जीवन का राज है। 🙏🌷🙏

मंगलवार, 13 सितंबर 2016

हैप्पी बर्थडे

आज हमारे अभिन्न का जन्मदिन है । शुभकामनाये।



बचपन के क्रिकेट के रूल्स


बचपन के क्रिकेट के रूल्स - 1-आठ ईंटो की विकिट होगी ।……

 2- पहली ट्राई बॉल होगी।……

3- जो बाउंडरि से बाहर बॉल फेकेगा;वो खुद वापस लेके आएगा।……

4-बैटिंग टीम अम्प्यारिंग करेगा।……

5- दिवार को डायरेक्ट लगा तो सिक्स;बॉल बाहर गयी तो आउट।……

6- आखरी बैट्समैन अकेला बैटिंग कर सकता है।. ……

 7- जो बिच में गेम छोडेगा;उसे कल नहीं खिलायेंगे……

 8- जो बाहर बॉल फेखेगा;खुद लायेगा;नहीं मिली तो खरीद कर लायेगा।……

 9- छोटे बच्चे सिर्फ fielding करगे;उनको लास्ट में खिलाएगे।……

 10-जब अन्धेरा हो जायेगा तो बॉल स्लो कराई जाएगी।…………

11- दिवार को लग कर केच हुआ तो"नोट आउट"......

 12- तीन बॉल लगातार वाइड कि तो ऑवर कैन्सिल..........

. 13- जो जितेगा वो अगली बार पहले बैटिंग करेगा......

 14- कीपर अगर आगे से पकडेगा तो आउट नही होगा no बॉल होगी......


 15- बैटिंग नही आई तो no फिल्डींग ......

 16- तीन बॉल से ज्यादा पर रन नही बना तो रिटायर

17- अगर ऍम्पायर की बात नहीं मानी तो देखने वाले का फैसला अंतिम होगा

 18- मैच के दौरान अगर घर से बुलावा आ गया तो जा सके है पारी नहीं कटेगी

 19- जिसका बैट होगा ओपनिंग वही करेंगा........

 कुछ याद आया बचपन के वो दिन तो ठोको कमेंट

*#प्रेत_के_प्रश्न*

रात्रि के अंतिम प्रहर में एक बुझी हुई चिता की भस्म पर अघोरी ने जैसे ही आसन लगाया, एक प्रेत ने उसकी गर्दन जकड़ ली और बोला- मैं जीवन भर विज्ञान का छात्र रहा और जीवन के उत्तरार्ध में तुम्हारे पुराणों की विचित्र कथाएं पढ़कर भ्रमित होता रहा. यदि तुम मुझे पौराणिक कथाओं की सार्थकता नहीं समझा सके तो मैं तुम्हे भी इसी भस्म में मिला दूंगा. अघोरी बोला- एक कथा सुनो, रैवतक राजा की पुत्री का नाम रेवती था. वह सामान्य कद के पुरुषों से बहुत लंबी थी, राजा उसके विवाह योग्य वर खोजकर थक गये और चिंतित रहने लगे. थक-हारकर वो योगबल के द्वारा पुत्री को लेकर ब्रह्मलोक गए. राजा जब वहां पहुंचे तब गन्धर्वों का गायन समारोह चल रहा था, राजा ने गायन समाप्त होने की प्रतीक्षा की. गायन समाप्ति के उपरांत ब्रह्मदेव ने राजा को देखा और पूछा- कहो, कैसे आना हुआ? राजा ने कहा- मेरी पुत्री के लिए किसी वर को आपने बनाया अथवा नहीं? ब्रह्मा जोर से हंसे और बोले- जब तुम आये तबतक तो नहीं, पर जिस कालावधि में तुमने यहाँ गन्धर्वगान सुना उतनी ही अवधि में पृथ्वी पर २७ चतुर्युग बीत चुके हैं और २८ वां द्वापर समाप्त होने वाला है, अब तुम वहां जाओ और कृष्ण के बड़े भाई बलराम से इसका विवाह कर दो, अच्छा हुआ की तुम रेवती को अपने साथ लाए जिससे इसकी आयु नहीं बढ़ी. इस कथा का वैज्ञानिक संदर्भ समझो- आर्थर सी क्लार्क ने आइंस्टीन की थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी की व्याख्या में एक पुस्तक लिखी है- मैन एंड स्पेस, उसमे गणना है की यदि 10 वर्ष का बालक यदि प्रकाश की गति वाले यान में बैठकर एंड्रोमेडा गैलेक्सी का एक चक्कर लगाये तो वापस आनेपर उसकी आयु ६६ वर्ष की होगी पर धरती पर 40 लाख वर्ष बीत चुके होंगे. यह आइंस्टीन की time dilation theory ही तो है जिसके लिए जॉर्ज गैमो ने एक मजाकिया कविता लिखी थी- There was a young girl named Miss Bright, Who could travel much faster than light She departed one day in an Einstein way And came back previous night प्रेत यह सुनकर चकित था, बोला- यह कथा नहीं है, यह तो पौराणिक विज्ञान है, हमारी सभ्यता इतनी अद्भुत रही है, अविश्वसनीय है. तभी तो आइंस्टीन पुराणों को अपनी प्रेरणा कहते थे. मैं अब सभी शवों और प्रेतों को यह विज्ञानकथा बताऊंगा ताकि वो राष्ट्रीय शरीर धारण कर सकें. अनेक वामपंथी यह कहते फिरते हैं की यदि इतना ही उन्नत था हमारा प्राचीन तो प्रमाण क्या है? अब उनको देता हूँ यह प्रमाण. अघोरी मुस्कुराता रहा और प्रेत वायु में विलीन हो गया. हम विश्व की सबसे उन्नत संस्कृति हैं यह विश्वास मत खोना, आपस में जाति, मत, पूजा पद्धति को लेकर उलझने वालों को देश का शत्रु मानो.. 🌞🌞

तूफान को पर करो : रुकोगे तो फसोगे


धीरूभाई अम्बानी किसी अर्जेंट मिटिगं करने जा रहे थे। राह में एक भयंकर तूफ़ान आया , ड्राइवर ने अम्बानी से पूछा -- अब हम क्या करें? अम्बानी ने जवाब दिया -- कार चलाते रहो. तूफ़ान में कार चलाना बहुत ही मुश्किल हो रहा था, तूफ़ान और भयंकर होता जा रहा था. अब मैं क्या करू ? -- ड्राइवर ने पुनः पूछा. कार चलाते रहो. -- अम्बानी ने पुनः कहा. थोड़ा आगे जाने पर ड्राइवर ने देखा की राह में कई वाहन तूफ़ान की वजह से रुके हुए थे...... उसने फिर अम्बानी से कहा -- मुझे कार रोक देनी चाहिए.......मैं मुश्किल से देख पा रहा हुं!!....... यह भयंकर है और प्रत्येक ने अपना वाहन रोक दिया है....... इस बार अम्बानी ने फिर निर्देशित किया -- कार रोकना नहीं. बस चलाते रहो.... तूफ़ान ने बहुत ही भयंकर रूप धारण कर लिया था किन्तु ड्राइवर ने कार चलाना नहीं छोड़ा.......... और अचानक ही उसने देखा कि कुछ साफ़ दिखने लगा है......... कुछ किलो मीटर आगे जाने के पश्चात ड्राइवर ने देखा कि तूफ़ान थम गया और सूरज निकल आया...... अब अम्बानी ने कहा -- अब तुम कार रोक सकते हो और बाहर आ सकते हो........ चालक ने पूछा -- पर अब क्यों? अम्बानी ने कहा -- जब तुम बाहर आओगे तो देखोगे कि जो राह में रुक गए थे, वे अभी भी तूफ़ान में फंसे हुए हैं..... चूँकि तुमने कार चलाने का प्रयत्न नहीं छोड़ा, तुम तूफ़ान के बाहर हो...... यह किस्सा उन लोगों के लिए एक प्रमाण है जो कठिन समय से गुजर रहे हैं......... मजबूत से मजबूत इंसान भी प्रयास छोड़ देते हैं........किन्तु प्रयास कभी भी छोड़ना नहीं चाहिए....... निश्चित ही जिन्दगी के कठिन समय गुजर जायेंगे और सुबह के सूरज की भांति चमक आपके जीवन में पुनः आयेगी.......!! ऐसा नहीं है की जिंदगी बहुत छोटी है। दरअसल हम जीना ही बहुत देर से शुरू करते हैं!!! 👤 यह पोस्ट उनके लिए है जो देवी देवताओं की फोटो डालने के साथ लिखते हे इसको इतने लोगो को forward करो इग्नोर मत करना आज मंगलवार है फलाना ढिमका, जल्दी शेयर करो शाम तक एक अच्छी खबर मिलेगी और जाने क्या क्या... 👤क्या आपने किसी सिख या मुसलमान को अपने प्रभु का मजाक करते हुए देखा है। नही देखा होगा। 👤 हम हिन्दू जैसे ही कोई पोस्ट अपने धर्म का मजाक उड़ाती हुयी देखते है जल्द से जल्द उसे सबसे शेयर करने की कोशिश करते है। कृपया बंद कीजिये अपने प्रभु का मजाक बनाना। 👤 मेरे प्यारे मित्रो भगवान को फेसबुक ओर whatsapp के सामग्री मत बनाओ अगर आपको वास्तव मेँ आस्था ओर विश्वास है तो एक घंटे के लिए whatsapp बंद करके किसी पास वाले मंदिर मेँ चले जाओ वहाँ पर आपको शांति का अहसास होगा जो whatsapp पर फॉरवर्ड करने से नहीँ मिलेगा... 👤 भगवान की फोटो डाले पर किस तरह का कोई चमत्कार न दिखाए.... 👤 हम आपके इस तरह के अफ़वाहों को रोकने की आशा करते हे न की अंधी दौड़ मेँ शामिल होने की..... 👤 भगवान हमें बुद्धि सोचने समझने के लिए दी है.... 👤 कौन से शास्त्र मेँ लिखा है कि 21 वीँ सदी मे whatsapp पे मेरा फोटो फारवर्ड करना शाम तक अच्छी खबर मिलेगी ... 👤 हम आप से इस तरह की मूर्खतापूर्ण बातो की आशा नहीँ करते... 👤 उम्मीद है आप सब इस पोस्ट को शेयर करके अपना योगदान दे Plzzzzzzzzz Hr group m failayen

सोमवार, 12 सितंबर 2016

उत्तर प्रदेश के जिला अधिकारियो के नंबर


"अखिलेश सरकार " ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सभी जिलाअधिकारियों के मोबाईल न0 व्हाट्सआप पर ऑन लाइन कर दिए है। यदि कोई अधिकारी ,कर्मचारी,आडिटर आपका शोषण करता या रिश्वत माँगता है तो आप उनके विरूद्ध सीधे। डीएम के व्हाट्सआप पर शिकायत कर सकते है।उत्तर प्रदेश के सभी जिलों के जिलाधिकारियों के संपर्क सूत्र... District Magistrate Uttar Pradesh CUG No's Sl.No District CUG No. 1 DM Agra 9454417509 2 DM Aligarh 9454417513 3 DM Aligarh 9454415313 4 DM Allahabad 9454417517 5 DM Ambedkar Nagar 9454417539 6 DM Amroha 9454417571 7 DM Auraiya 9454417550 8 DM Azamgarh 9454417521 9 DM Badaun 9415908422 10 DM Baghpat 9454417562 11 DM Bahraich 9454417535 12 DM Ballia 9454417522 13 DM Balrampur 9454417536 14 DM Banda 9454417531 15 DM Barabanki 9454417540 16 DM Bareilly 9454417524 17 DM Basti 9454417528 18 DM Bijnor 9454417570 19 DM Budaun 9454417525 20 DM Bulandshahar 9454417563 21 DM Chandauli 9454417576 22 DM Chitrakoot 9454417532 23 DM CSJM Nagar 9454418891 24 DM Deoria 9454417543 25 DM Etah 9454417514 26 DM Etawah 9454417551 27 DM Faizabad 9454417541 28 DM Farrukhabad 9454417552 29 DM Fatehpur 9454417518 30 DM Firozabad 9454417510 31 DM Gautambudh Nagar 94544 32 DM Ghaziabad 9454417565 33 DM Ghazipur 9454417577 34 DM Gonda 9454417537 35 DM Gorakhpur 9454417544 36 DM Hamirpur 9454417533 37 DM Hapur 8449053158 38 DM Hardoi 9454417556 39 DM Hathras 9454417515 40 DM J.P.Nagar 5922262999 41 DM Jalaun 9454417548 42 DM Jaunpur 9454417578 43 DM Jhansi 9454417547 44 DM Kannauj 9454417555 45 DM Kanpur Nagar 9454417554 46 DM Kashiram Nagar 9454417516 47 DM Kaushambhi 9454417519 48 DM Kheri 9454417558 49 DM Kushinagar 9454417545 50 DM Lalitpur 9454417549 51 DM Lucknow 9454417557 52 DM Maharaj Ganj 9454417546 53 DM Mahoba 9454417534 54 DM Mainpuri 9454417511 55 DM Mathura 9454417512 56 DM Mau 9454417523 57 DM Meerut 9454417566 58 DM Mirzapur 9454417567 59 DM Moradabad 9454417572 61 DM MRT 1212664133 62 DM Muzaffar Nagar 9454417574 63 DM Mzn 9454415445 64 DM PA Mujeeb 9415908159 65 DM Pilibhit 9454417526 66 DM Pratapgarh 9454417520 67 DM Raebareili 9454417559 68 DM Ramabai Nagar 9454417553 69 DM Rampur 9454417573 70 DM Saharanpur 9454417575 71 DM Sambhal 9454416890 72 DM Sant Kabir Nagar 9454417529 73 DM Sant Ravidaas Nagar 9454417568 74 DM Shahjhanpur 9454417527 75 DM Shamli 9454416996 76 DM Shrawasti 9454417538 77 DM Siddhathnagar 9454417530 78 DM Sitapur 9454417560 79 DM Sonbhadra 9454417569 80 DM Sultanpur 9454417542 81 DM Unnao 9454417561 82 DM Varansi 9454417579 ना जुर्म करे ना होने दे। करे सीधे जिला अधिकारी से संपर्क। अपने परिचितों को भी भेजें। धन्यवाद

बहुत सुंदर पंक्तियाँ


** बहुत सुंदर पंक्तियाँ **

 "रहता हूं किराये की काया में, रोज़ सांसों को बेच कर किराया चूकाता हूं...!

- मेरी औकात है बस मिट्टी जितनी, बात मैं महल मिनारों की कर जाता हूं...!

 - जल जायेगी ये मेरी काया ऐक दिन, फिर भी इसकी खूबसूरती पर इतराता हूं...! -

 मुझे पता हे मैं खुद के सहारे श्मशान तक भी ना जा सकूंगा,
 इसीलिए मैं दोस्त बनाता हूं . !

!"😊शुभ प्रभात 😊 ।।

कुछ सच्ची कुछ.......


भाउक रिश्ता : एक श्रृंखला


दोस्तों भौक रिश्ता का एक श्रृंखला लेकर आया हूं।
इस कड़ी में पुराणी कहानी है
पर आगे एक नई कहानी होगी।
अगर यह कहानी दिल को छू जाये तो कमेंट बॉक्स में अपनी प्रतिक्रिया अवस्य दे।


अत्यंत सुन्दर कहानी जरूर पढें। वसुंधरा दीदी एक छोटे से शहर के प्राथमिक स्कूल में कक्षा 5 की शिक्षिका थीं। उनकी एक आदत थी कि वह कक्षा शुरू करने से पहले हमेशा "आई लव यू ऑल" बोला करतीं, मगर वह जानती थीं कि वह सच नहीं कहती, वह कक्षा के सभी बच्चों से उतना प्यार नहीं करती थीं। कक्षा में एक ऐसा बच्चा था जो वसुंधरा को एक आंख नहीं भाता। उसका नाम आशीष था, आशीष मैली कुचेली स्थिति में स्कूल आ जाया करता है। उसके बाल खराब होते, जूतों के बन्ध खुले, शर्ट के कॉलर पर मेल के निशान। । । व्याख्यान के दौरान भी उसका ध्यान कहीं और होता। वसुंधरा के डाँटने पर वह चौंक कर उन्हें देखता तो लग जाता.. मगर उसकी खाली खाली नज़रों से उन्हें साफ पता लगता रहता कि आशीष शारीरिक रूप से कक्षा में उपस्थित होने के बावजूद भी मानसिक रूप से गायब है। धीरे धीरे वसुंधरा को आशीष से नफरत सी होने लगी। क्लास में घुसते ही आशीष.. वसुंधरा की आलोचना का निशाना बनने लगता। सब बुराई उदाहरण आशीष के नाम पर किये जाते। बच्चे उस पर खिलखिला कर हंसते और वसुंधरा उसको अपमानित कर के संतोष प्राप्त करतीं, आशीष ने हालांकि किसी बात का कभी कोई जवाब नहीं दिया था। वसुंधरा को वह एक बेजान पत्थर की तरह लगता जिसके अंदर महसूस नाम की कोई चीज नहीं थी। प्रत्येक डांट, व्यंग्य और सजा के जवाब में वह बस अपनी भावनाओं से खाली नज़रों से उन्हें देखा करता और सिर झुका लेता । वसुंधरा को अब इससे गंभीर चिढ़ हो चुकी थी। पहला सेमेस्टर समाप्त हो गया और रिपोर्ट बनाने का चरण आया तो वसुंधरा ने आशीष की प्रगति रिपोर्ट में यह सब बुरी बातें लिख मारी। प्रगति रिपोर्ट कार्ड माता पिता को दिखाने से पहले प्रधानाध्यापिका के पास जाया करता था, उन्होंने जब आशीष की रिपोर्ट देखी तो वसुंधरा को बुला लिया। "वसुंधरा... प्रगति रिपोर्ट में कुछ तो प्रगति भी लिखनी चाहिए। आपने तो जो कुछ लिखा है इससे आशीष के पिता इससे बिल्कुल निराश हो जाएंगे।" "मैं माफी माँगती हूँ, लेकिन आशीष एक बिल्कुल ही अशिष्ट और निकम्मा बच्चा है, मुझे नहीं लगता कि मैं उसकी प्रगति के बारे में कुछ भी अच्छा लिख सकती हूँ। "वसुंधरा बेहद घृणित लहजे में बोलकर वहाँ से उठ आईं। प्रधानाध्यापिका ने एक अजीब हरकत की। उन्होंने चपरासी के हाथ वसुंधरा की डेस्क पर आशीष की पिछले वर्षों की प्रगति रिपोर्ट रखवा दी। अगले दिन वसुंधरा ने कक्षा में प्रवेश किया तो रिपोर्ट पर नजर पड़ी। पलट कर देखा तो पता लगा कि यह आशीष की रिपोर्ट हैं। "पिछली कक्षाओं में भी उसने निश्चय ही यही गुल खिलाए होंगे।" उन्होंने सोचा और कक्षा 3 की रिपोर्ट खोली। रिपोर्ट में टिप्पणी पढ़कर उनकी आश्चर्य की कोई सीमा न रही जब उन्होंने देखा कि रिपोर्ट उसकी तारीफों से भरी पड़ी है। "आशीष जैसा बुद्धिमान बच्चा मैंने आज तक नहीं देखा।" "बेहद संवेदनशील बच्चा है और अपने मित्रों और शिक्षकों से बेहद लगाव रखता है।" " अंतिम सेमेस्टर में भी आशीष ने प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया है। "वसुंधरा दीदी ने अनिश्चित स्थिति में कक्षा 4 की रिपोर्ट खोली। "आशीष ने अपनी मां की बीमारी का बेहद प्रभाव लिया। उसका ध्यान पढ़ाई से हट रहा है।" "" आशीष की माँ को अंतिम चरण का कैंसर हुआ है। । घर पर उसका और कोई ध्यान रखनेवाला नहीं है। जिसका गहरा प्रभाव उसकी पढ़ाई पर पड़ा है। "" आशीष की माँ मर चुकी है और इसके साथ ही आशीष के जीवन की रमक और रौनक भी। । उसे बचाना होगा...इससे पहले कि बहुत देर हो जाए। "वसुंधरा के दिमाग पर भयानक बोझ तारी हो गया। कांपते हाथों से उन्होंने प्रगति रिपोर्ट बंद की । आंसू उनकी आँखों से एक के बाद एक गिरने लगे। अगले दिन जब वसुंधरा कक्षा में दाख़िल हुईं तो उन्होंने अपनी आदत के अनुसार अपना पारंपरिक वाक्यांश "आई लव यू ऑल" दोहराया। मगर वह जानती थीं कि वह आज भी झूठ बोल रही हैं। क्योंकि इसी क्लास में बैठे एक उलझे बालों वाले बच्चे आशीष के लिए जो प्यार वह आज अपने दिल में महसूस कर रही थीं..वह कक्षा में बैठे और किसी भी बच्चे से हो ही नहीं सकता था । व्याख्यान के दौरान उन्होंने रोजाना दिनचर्या की तरह एक सवाल आशीष पर दागा और हमेशा की तरह आशीष ने सिर झुका लिया। जब कुछ देर तक वसुंधरा से कोई डांट फटकार और सहपाठी सहयोगियों से हंसी की आवाज उसके कानों में न पड़ी तो उसने गहन आश्चर्य से सिर उठाकर उनकी ओर देखा। अप्रत्याशित उनके माथे पर आज बल न थे, वह मुस्कुरा रही थीं। उन्होंने आशीष को अपने पास बुलाया और उसे सवाल का जवाब बताकर जबरन दोहराने के लिए कहा। आशीष तीन चार बार के आग्रह के बाद अंतत:बोल ही पड़ा। इसके जवाब देते ही वसुंधरा ने न सिर्फ खुद खुशान्दाज़ होकर तालियाँ बजाईं बल्कि सभी से भी बजवायी.. फिर तो यह दिनचर्या बन गयी। वसुंधरा अब हर सवाल का जवाब अपने आप बताती और फिर उसकी खूब सराहना तारीफ करतीं। प्रत्येक अच्छा उदाहरण आशीष के कारण दिया जाने लगा । धीरे-धीरे पुराना आशीष सन्नाटे की कब्र फाड़ कर बाहर आ गया। अब वसुंधरा को सवाल के साथ जवाब बताने की जरूरत नहीं पड़ती। वह रोज बिना कोई त्रुटि उत्तर देकर सभी को प्रभावित करता और नये नए सवाल पूछ कर सबको हैरान भी करता। उसके बाल अब कुछ हद तक सुधरे हुए होते, कपड़े भी काफी हद तक साफ होते जिन्हें शायद वह खुद धोने लगा था। देखते ही देखते साल समाप्त हो गया और आशीष ने दूसरा स्थान हासिल कर लिया यानी दूसरी क्लास । विदाई समारोह में सभी बच्चे वसुंधरा दीदी के लिये सुंदर उपहार लेकर आए और वसुंधरा की टेबल पर ढेर लग गये । इन खूबसूरती से पैक हुए उपहार में एक पुराने अखबार में बद सलीके से पैक हुआ एक उपहार भी पड़ा था। बच्चे उसे देखकर हंस पड़े। किसी को जानने में देर न लगी कि उपहार के नाम पर ये आशीष लाया होगा। वसुंधरा दीदी ने उपहार के इस छोटे से पहाड़ में से लपक कर उसे निकाला। खोलकर देखा तो उसके अंदर एक महिलाओं की इत्र की आधी इस्तेमाल की हुई शीशी और एक हाथ में पहनने वाला एक बड़ा सा कड़ा था जिसके ज्यादातर मोती झड़ चुके थे। वसुंधरा ने चुपचाप इस इत्र को खुद पर छिड़का और हाथ में कंगन पहन लिया। बच्चे यह दृश्य देखकर हैरान रह गए। खुद आशीष भी। आखिर आशीष से रहा न गया और वो वसुंधरा दीदी के पास आकर खड़ा हो गया। । कुछ देर बाद उसने अटक अटक कर वसुंधरा को बताया कि "आज आप में से मेरी माँ जैसी खुशबू आ रही है।" समय पर लगाकर उड़ने लगा। दिन सप्ताह, सप्ताह महीने और महीने साल में बदलते भला कहां देर लगती है? मगर हर साल के अंत में वसुंधरा को आशीष से एक पत्र नियमित रूप से प्राप्त होता जिसमें लिखा होता कि "इस साल कई नए टीचर्स से मिला।। मगर आप जैसा कोई नहीं था।" फिर आशीष का स्कूल समाप्त हो गया और पत्रों का सिलसिला भी। कई साल आगे गुज़रे और अध्यापिका वसुंधरा अब रिटायर हो गईं। एक दिन उन्हें अपनी मेल में आशीष का पत्र मिला जिसमें लिखा था: "इस महीने के अंत में मेरी शादी है और आपकी अलावा शादी की बात मैं नहीं सोच सकता। एक और बात .. मैं जीवन में बहुत सारे लोगों से मिल चुका हूँ। आप जैसा कोई नहीं है.........डॉक्टर आशीष साथ ही विमान का आने जाने का टिकट भी लिफाफे में मौजूद था। वसुंधरा खुद को हरगिज़ न रोक सकती थीं। उन्होंने अपने पति से अनुमति ली और वह दूसरे शहर के लिए रवाना हो गईं। ऐन शादी के दिन जब वह शादी की जगह पहुंची तो थोड़ी लेट हो चुकी थीं। उन्हें लगा समारोह समाप्त हो चुका होगा.. मगर यह देखकर उनके आश्चर्य की सीमा न रही कि शहर के बड़े डॉ, बिजनेसमैन और यहां तक कि वहां मौजूद फेरे कराने वाले पंडित भी इन्तजार करते करते थक गये थे. कि आखिर कौन आना बाकी है...मगर आशीष समारोह में फेरों और विवाह के बजाय गेट की तरफ टकटकी लगाए उनके आने का इंतजार कर रहा था। फिर सबने देखा कि जैसे ही यह पुरानी अध्यापिका वसुंधरा ने गेट से प्रवेश किया आशीष उनकी ओर तेजी से लपका और उनका वह हाथ पकड़ा जिसमें उन्होंने अब तक वह सड़ा हुआ सा कंगन पहना हुआ था और उन्हें सीधा वेदी पर ले गया। वसुंधरा का हाथ में पकड़ कर उसने कुछ यूं बोला "दोस्तो आप सभी हमेशा मुझसे मेरी माँ के बारे में पूछा करते थे और मैं आप सबसे वादा किया करता था कि जल्द ही आप सबको अपनी माँ से मिलाऊँगा....!! यह मेरी माँ हैं ---- !!!!!!!!" - - ये है एक सच्चे शिक्षक और सच्चे विद्यार्थी का पवित्र और भावुक रिश्ता पर इस सुंदर कहानी को सिर्फ शिक्षक और शिष्य के रिश्ते के कारण ही मत सोचिएगा, अपने आसपास देखें, आशीष जैसे कई फूल मुरझा रहे हैं जिन्हें आप का जरा सा ध्यान, प्यार और स्नेह नया जीवन दे सकता है....

आओ बच्चों तुम्हे दिखायें, शैतानी शैतान की

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 आओ बच्चों तुम्हे दिखायें, शैतानी शैतान की। नेताओं से बहुत दुखी है, जनता हिन्दुस्तान की।। बड़े-बड़े नेता शामिल हैं, घोटालों की थाली में। सूटकेश भर के चलते हैं, अपने यहाँ दलाली में।। देश-धर्म की नहीं है चिंता, चिन्ता निज सन्तान की। नेताओं से बहुत दुखी है, जनता हिन्दुस्तान की।। चोर-लुटेरे भी अब देखो, सांसद और विधायक हैं। सुरा-सुन्दरी के प्रेमी ये, सचमुच के खलनायक हैं।। भिखमंगों में गिनती कर दी, भारत देश महान की। नेताओं से बहुत दुखी है, जनता हिन्दुस्तान की।। जनता केआवंटित धन को, आधा मन्त्री खाते हैं। बाकी में अफसर-ठेकेदार, मिलकर मौज उड़ाते हैं।। लूट-खसोट मचा रखी है, सरकारी अनुदान की। नेताओं से बहुत दुखी है, जनता हिन्दुस्तान की।। थर्ड क्लास अफसर बन जाता, फर्स्ट क्लास चपरासी है। होशियार बच्चों के मन में, छायी आज उदासी है।। गंवार व्यक्ति तो नेता ब न गया, मेधावी आज खलासी है। आओ बच्चों तुम्हें दिखायें, शैतानी शैतान की।। नेताओं से बहुत दुखी है, जनता हिन्दुस्तान की।। 🙇🙇🙇🙇🙇

रविवार, 11 सितंबर 2016

व्हात्सप्प स्टेटस


Nafrat Hindi Status for Facebook WhatsApp Main Khush Hoon Ki Uski Nafrat SIRF Mujh Par Mehrbaan Hai... Verna Mohabbat Toh Usey Kai Logon Se Hai... ------------------------------------------------------ Chahat Ke Parde Mein Nafrat Hai Mumkin * To Nafrat Ke Parde Mein Chahat Bhi Hogi Agar Koi Khafa Hota Hai Tumhe Apna Samjhkar To Usko Tumse Mohabbat Bhi Hogi...

भाउक रिश्ता


अत्यंत सुन्दर कहानी जरूर पढें। वसुंधरा दीदी एक छोटे से शहर के प्राथमिक स्कूल में कक्षा 5 की शिक्षिका थीं। उनकी एक आदत थी कि वह कक्षा शुरू करने से पहले हमेशा "आई लव यू ऑल" बोला करतीं, मगर वह जानती थीं कि वह सच नहीं कहती, वह कक्षा के सभी बच्चों से उतना प्यार नहीं करती थीं। कक्षा में एक ऐसा बच्चा था जो वसुंधरा को एक आंख नहीं भाता। उसका नाम आशीष था, आशीष मैली कुचेली स्थिति में स्कूल आ जाया करता है। उसके बाल खराब होते, जूतों के बन्ध खुले, शर्ट के कॉलर पर मेल के निशान। । । व्याख्यान के दौरान भी उसका ध्यान कहीं और होता। वसुंधरा के डाँटने पर वह चौंक कर उन्हें देखता तो लग जाता.. मगर उसकी खाली खाली नज़रों से उन्हें साफ पता लगता रहता कि आशीष शारीरिक रूप से कक्षा में उपस्थित होने के बावजूद भी मानसिक रूप से गायब है। धीरे धीरे वसुंधरा को आशीष से नफरत सी होने लगी। क्लास में घुसते ही आशीष.. वसुंधरा की आलोचना का निशाना बनने लगता। सब बुराई उदाहरण आशीष के नाम पर किये जाते। बच्चे उस पर खिलखिला कर हंसते और वसुंधरा उसको अपमानित कर के संतोष प्राप्त करतीं, आशीष ने हालांकि किसी बात का कभी कोई जवाब नहीं दिया था। वसुंधरा को वह एक बेजान पत्थर की तरह लगता जिसके अंदर महसूस नाम की कोई चीज नहीं थी। प्रत्येक डांट, व्यंग्य और सजा के जवाब में वह बस अपनी भावनाओं से खाली नज़रों से उन्हें देखा करता और सिर झुका लेता । वसुंधरा को अब इससे गंभीर चिढ़ हो चुकी थी। पहला सेमेस्टर समाप्त हो गया और रिपोर्ट बनाने का चरण आया तो वसुंधरा ने आशीष की प्रगति रिपोर्ट में यह सब बुरी बातें लिख मारी। प्रगति रिपोर्ट कार्ड माता पिता को दिखाने से पहले प्रधानाध्यापिका के पास जाया करता था, उन्होंने जब आशीष की रिपोर्ट देखी तो वसुंधरा को बुला लिया। "वसुंधरा... प्रगति रिपोर्ट में कुछ तो प्रगति भी लिखनी चाहिए। आपने तो जो कुछ लिखा है इससे आशीष के पिता इससे बिल्कुल निराश हो जाएंगे।" "मैं माफी माँगती हूँ, लेकिन आशीष एक बिल्कुल ही अशिष्ट और निकम्मा बच्चा है, मुझे नहीं लगता कि मैं उसकी प्रगति के बारे में कुछ भी अच्छा लिख सकती हूँ। "वसुंधरा बेहद घृणित लहजे में बोलकर वहाँ से उठ आईं। प्रधानाध्यापिका ने एक अजीब हरकत की। उन्होंने चपरासी के हाथ वसुंधरा की डेस्क पर आशीष की पिछले वर्षों की प्रगति रिपोर्ट रखवा दी। अगले दिन वसुंधरा ने कक्षा में प्रवेश किया तो रिपोर्ट पर नजर पड़ी। पलट कर देखा तो पता लगा कि यह आशीष की रिपोर्ट हैं। "पिछली कक्षाओं में भी उसने निश्चय ही यही गुल खिलाए होंगे।" उन्होंने सोचा और कक्षा 3 की रिपोर्ट खोली। रिपोर्ट में टिप्पणी पढ़कर उनकी आश्चर्य की कोई सीमा न रही जब उन्होंने देखा कि रिपोर्ट उसकी तारीफों से भरी पड़ी है। "आशीष जैसा बुद्धिमान बच्चा मैंने आज तक नहीं देखा।" "बेहद संवेदनशील बच्चा है और अपने मित्रों और शिक्षकों से बेहद लगाव रखता है।" " अंतिम सेमेस्टर में भी आशीष ने प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया है। "वसुंधरा दीदी ने अनिश्चित स्थिति में कक्षा 4 की रिपोर्ट खोली। "आशीष ने अपनी मां की बीमारी का बेहद प्रभाव लिया। उसका ध्यान पढ़ाई से हट रहा है।" "" आशीष की माँ को अंतिम चरण का कैंसर हुआ है। । घर पर उसका और कोई ध्यान रखनेवाला नहीं है। जिसका गहरा प्रभाव उसकी पढ़ाई पर पड़ा है। "" आशीष की माँ मर चुकी है और इसके साथ ही आशीष के जीवन की रमक और रौनक भी। । उसे बचाना होगा...इससे पहले कि बहुत देर हो जाए। "वसुंधरा के दिमाग पर भयानक बोझ तारी हो गया। कांपते हाथों से उन्होंने प्रगति रिपोर्ट बंद की । आंसू उनकी आँखों से एक के बाद एक गिरने लगे। अगले दिन जब वसुंधरा कक्षा में दाख़िल हुईं तो उन्होंने अपनी आदत के अनुसार अपना पारंपरिक वाक्यांश "आई लव यू ऑल" दोहराया। मगर वह जानती थीं कि वह आज भी झूठ बोल रही हैं। क्योंकि इसी क्लास में बैठे एक उलझे बालों वाले बच्चे आशीष के लिए जो प्यार वह आज अपने दिल में महसूस कर रही थीं..वह कक्षा में बैठे और किसी भी बच्चे से हो ही नहीं सकता था । व्याख्यान के दौरान उन्होंने रोजाना दिनचर्या की तरह एक सवाल आशीष पर दागा और हमेशा की तरह आशीष ने सिर झुका लिया। जब कुछ देर तक वसुंधरा से कोई डांट फटकार और सहपाठी सहयोगियों से हंसी की आवाज उसके कानों में न पड़ी तो उसने गहन आश्चर्य से सिर उठाकर उनकी ओर देखा। अप्रत्याशित उनके माथे पर आज बल न थे, वह मुस्कुरा रही थीं। उन्होंने आशीष को अपने पास बुलाया और उसे सवाल का जवाब बताकर जबरन दोहराने के लिए कहा। आशीष तीन चार बार के आग्रह के बाद अंतत:बोल ही पड़ा। इसके जवाब देते ही वसुंधरा ने न सिर्फ खुद खुशान्दाज़ होकर तालियाँ बजाईं बल्कि सभी से भी बजवायी.. फिर तो यह दिनचर्या बन गयी। वसुंधरा अब हर सवाल का जवाब अपने आप बताती और फिर उसकी खूब सराहना तारीफ करतीं। प्रत्येक अच्छा उदाहरण आशीष के कारण दिया जाने लगा । धीरे-धीरे पुराना आशीष सन्नाटे की कब्र फाड़ कर बाहर आ गया। अब वसुंधरा को सवाल के साथ जवाब बताने की जरूरत नहीं पड़ती। वह रोज बिना कोई त्रुटि उत्तर देकर सभी को प्रभावित करता और नये नए सवाल पूछ कर सबको हैरान भी करता। उसके बाल अब कुछ हद तक सुधरे हुए होते, कपड़े भी काफी हद तक साफ होते जिन्हें शायद वह खुद धोने लगा था। देखते ही देखते साल समाप्त हो गया और आशीष ने दूसरा स्थान हासिल कर लिया यानी दूसरी क्लास । विदाई समारोह में सभी बच्चे वसुंधरा दीदी के लिये सुंदर उपहार लेकर आए और वसुंधरा की टेबल पर ढेर लग गये । इन खूबसूरती से पैक हुए उपहार में एक पुराने अखबार में बद सलीके से पैक हुआ एक उपहार भी पड़ा था। बच्चे उसे देखकर हंस पड़े। किसी को जानने में देर न लगी कि उपहार के नाम पर ये आशीष लाया होगा। वसुंधरा दीदी ने उपहार के इस छोटे से पहाड़ में से लपक कर उसे निकाला। खोलकर देखा तो उसके अंदर एक महिलाओं की इत्र की आधी इस्तेमाल की हुई शीशी और एक हाथ में पहनने वाला एक बड़ा सा कड़ा था जिसके ज्यादातर मोती झड़ चुके थे। वसुंधरा ने चुपचाप इस इत्र को खुद पर छिड़का और हाथ में कंगन पहन लिया। बच्चे यह दृश्य देखकर हैरान रह गए। खुद आशीष भी। आखिर आशीष से रहा न गया और वो वसुंधरा दीदी के पास आकर खड़ा हो गया। । कुछ देर बाद उसने अटक अटक कर वसुंधरा को बताया कि "आज आप में से मेरी माँ जैसी खुशबू आ रही है।" समय पर लगाकर उड़ने लगा। दिन सप्ताह, सप्ताह महीने और महीने साल में बदलते भला कहां देर लगती है? मगर हर साल के अंत में वसुंधरा को आशीष से एक पत्र नियमित रूप से प्राप्त होता जिसमें लिखा होता कि "इस साल कई नए टीचर्स से मिला।। मगर आप जैसा कोई नहीं था।" फिर आशीष का स्कूल समाप्त हो गया और पत्रों का सिलसिला भी। कई साल आगे गुज़रे और अध्यापिका वसुंधरा अब रिटायर हो गईं। एक दिन उन्हें अपनी मेल में आशीष का पत्र मिला जिसमें लिखा था: "इस महीने के अंत में मेरी शादी है और आपकी अलावा शादी की बात मैं नहीं सोच सकता। एक और बात .. मैं जीवन में बहुत सारे लोगों से मिल चुका हूँ। आप जैसा कोई नहीं है.........डॉक्टर आशीष साथ ही विमान का आने जाने का टिकट भी लिफाफे में मौजूद था। वसुंधरा खुद को हरगिज़ न रोक सकती थीं। उन्होंने अपने पति से अनुमति ली और वह दूसरे शहर के लिए रवाना हो गईं। ऐन शादी के दिन जब वह शादी की जगह पहुंची तो थोड़ी लेट हो चुकी थीं। उन्हें लगा समारोह समाप्त हो चुका होगा.. मगर यह देखकर उनके आश्चर्य की सीमा न रही कि शहर के बड़े डॉ, बिजनेसमैन और यहां तक कि वहां मौजूद फेरे कराने वाले पंडित भी इन्तजार करते करते थक गये थे. कि आखिर कौन आना बाकी है...मगर आशीष समारोह में फेरों और विवाह के बजाय गेट की तरफ टकटकी लगाए उनके आने का इंतजार कर रहा था। फिर सबने देखा कि जैसे ही यह पुरानी अध्यापिका वसुंधरा ने गेट से प्रवेश किया आशीष उनकी ओर तेजी से लपका और उनका वह हाथ पकड़ा जिसमें उन्होंने अब तक वह सड़ा हुआ सा कंगन पहना हुआ था और उन्हें सीधा वेदी पर ले गया। वसुंधरा का हाथ में पकड़ कर उसने कुछ यूं बोला "दोस्तो आप सभी हमेशा मुझसे मेरी माँ के बारे में पूछा करते थे और मैं आप सबसे वादा किया करता था कि जल्द ही आप सबको अपनी माँ से मिलाऊँगा....!! यह मेरी माँ हैं ---- !!!!!!!!" - - ये है एक सच्चे शिक्षक और सच्चे विद्यार्थी का पवित्र और भावुक रिश्ता पर इस सुंदर कहानी को सिर्फ शिक्षक और शिष्य के रिश्ते के कारण ही मत सोचिएगा, अपने आसपास देखें, आशीष जैसे कई फूल मुरझा रहे हैं जिन्हें आप का जरा सा ध्यान, प्यार और स्नेह नया जीवन दे सकता है....! Good Day.....

पगली लड़की : कुमार विस्वास


अमावस की काली रातों में अमावस की काली रातों में दिल का दरवाजा खुलता है, जब दर्द की काली रातों में गम आंसू के संग घुलता है, जब पिछवाड़े के कमरे में हम निपट अकेले होते हैं, जब घड़ियाँ टिक-टिक चलती हैं,सब सोते हैं, हम रोते हैं, जब बार-बार दोहराने से सारी यादें चुक जाती हैं, जब ऊँच-नीच समझाने में माथे की नस दुःख जाती है, तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है, और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है। जब पोथे खाली होते है, जब हर्फ़ सवाली होते हैं, जब गज़लें रास नही आती, अफ़साने गाली होते हैं, जब बासी फीकी धूप समेटे दिन जल्दी ढल जता है, जब सूरज का लश्कर छत से गलियों में देर से जाता है, जब जल्दी घर जाने की इच्छा मन ही मन घुट जाती है, जब कालेज से घर लाने वाली पहली बस छुट जाती है, जब बेमन से खाना खाने पर माँ गुस्सा हो जाती है, जब लाख मन करने पर भी पारो पढ़ने आ जाती है, जब अपना हर मनचाहा काम कोई लाचारी लगता है, तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है, और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है। जब कमरे में सन्नाटे की आवाज़ सुनाई देती है, जब दर्पण में आंखों के नीचे झाई दिखाई देती है, जब बड़की भाभी कहती हैं, कुछ सेहत का भी ध्यान करो, क्या लिखते हो दिन भर, कुछ सपनों का भी सम्मान करो, जब बाबा वाली बैठक में कुछ रिश्ते वाले आते हैं, जब बाबा हमें बुलाते है,हम जाते में घबराते हैं, जब साड़ी पहने एक लड़की का फोटो लाया जाता है, जब भाभी हमें मनाती हैं, फोटो दिखलाया जाता है, जब सारे घर का समझाना हमको फनकारी लगता है, तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है, और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है। दीदी कहती हैं उस पगली लडकी की कुछ औकात नहीं, उसके दिल में भैया तेरे जैसे प्यारे जज़्बात नहीं, वो पगली लड़की मेरी खातिर नौ दिन भूखी रहती है, चुप चुप सारे व्रत करती है, मगर मुझसे कुछ ना कहती है, जो पगली लडकी कहती है, मैं प्यार तुम्ही से करती हूँ, लेकिन मैं हूँ मजबूर बहुत, अम्मा-बाबा से डरती हूँ, उस पगली लड़की पर अपना कुछ भी अधिकार नहीं बाबा, सब कथा-कहानी-किस्से हैं, कुछ भी तो सार नहीं बाबा, बस उस पगली लडकी के संग जीना फुलवारी लगता है, और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है |||

इस अंजुमन में हम आये है कई बार : कुशीनगर एक यात्रा





शनिवार, 10 सितंबर 2016

परंपरा

संकलित) एक गोत्र में शादी क्यूँ नहीं.... वैज्ञानिक कारण हैं.. एक दिन डिस्कवरी पर जेनेटिक बीमारियों से सम्बन्धित एक ज्ञानवर्धक कार्यक्रम देख रहा था ... उस प्रोग्राम में एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने कहा की जेनेटिक बीमारी न हो इसका एक ही इलाज है और वो है "सेपरेशन ऑफ़ जींस".. मतलब अपने नजदीकी रिश्तेदारो में विवाह नही करना चाहिए ..क्योकि नजदीकी रिश्तेदारों में जींस सेपरेट (विभाजन) नही हो पाता और जींस लिंकेज्ड बीमारियाँ जैसे हिमोफिलिया, कलर ब्लाईंडनेस, और एल्बोनिज्म होने की १००% चांस होती है .. फिर मुझे बहुत ख़ुशी हुई जब उसी कार्यक्रम में ये दिखाया गया की आखिर हिन्दूधर्म में हजारों सालों पहले जींस और डीएनए के बारे में कैसे लिखा गया है ? हिंदुत्व में कुल सात गोत्र होते है और एक गोत्र के लोग आपस में शादी नही कर सकते ताकि जींस सेपरेट (विभाजित) रहे.. उस वैज्ञानिक ने कहा की आज पूरे विश्व को मानना पड़ेगा की हिन्दूधर्म ही विश्व का एकमात्र ऐसा धर्म है जो "विज्ञान पर आधारित" है ! हिंदू परम्पराओं से जुड़े ये वैज्ञानिक तर्क: 1- कान छिदवाने की परम्परा: भारत में लगभग सभी धर्मों में कान छिदवाने की परम्परा है। वैज्ञानिक तर्क- दर्शनशास्त्री मानते हैं कि इससे सोचने की शक्त‍ि बढ़ती है। जबकि डॉक्टरों का मानना है कि इससे बोली अच्छी होती है और कानों से होकर दिमाग तक जाने वाली नस का रक्त संचार नियंत्रित रहता है। 2-: माथे पर कुमकुम/तिलक महिलाएं एवं पुरुष माथे पर कुमकुम या तिलक लगाते हैं। वैज्ञानिक तर्क- आंखों के बीच में माथे तक एक नस जाती है। कुमकुम या तिलक लगाने से उस जगह की ऊर्जा बनी रहती है। माथे पर तिलक लगाते वक्त जब अंगूठे या उंगली से प्रेशर पड़ता है, तब चेहरे की त्वचा को रक्त सप्लाई करने वाली मांसपेशी सक्रिय हो जाती है। इससे चेहरे की कोश‍िकाओं तक अच्छी तरह रक्त पहुंचता 3- : जमीन पर बैठकर भोजन भारतीय संस्कृति के अनुसार जमीन पर बैठकर भोजन करना अच्छी बात होती है। वैज्ञानिक तर्क- पलती मारकर बैठना एक प्रकार का योग आसन है। इस पोजीशन में बैठने से मस्त‍िष्क शांत रहता है और भोजन करते वक्त अगर दिमाग शांत हो तो पाचन क्रिया अच्छी रहती है। इस पोजीशन में बैठते ही खुद-ब-खुद दिमाग से एक सिगनल पेट तक जाता है, कि वह भोजन के लिये तैयार हो जाये। 4- : हाथ जोड़कर नमस्ते करना जब किसी से मिलते हैं तो हाथ जोड़कर नमस्ते अथवा नमस्कार करते हैं। वैज्ञानिक तर्क- जब सभी उंगलियों के शीर्ष एक दूसरे के संपर्क में आते हैं और उन पर दबाव पड़ता है। एक्यूप्रेशर के कारण उसका सीधा असर हमारी आंखों, कानों और दिमाग पर होता है, ताकि सामने वाले व्यक्त‍ि को हम लंबे समय तक याद रख सकें। दूसरा तर्क यह कि हाथ मिलाने (पश्च‍िमी सभ्यता) के बजाये अगर आप नमस्ते करते हैं तो सामने वाले के शरीर के कीटाणु आप तक नहीं पहुंच सकते। अगर सामने वाले को स्वाइन फ्लू भी है तो भी वह वायरस आप तक नहीं पहुंचेगा। 5-: भोजन की शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से जब भी कोई धार्मिक या पारिवारिक अनुष्ठान होता है तो भोजन की शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से होता है। वैज्ञानिक तर्क- तीखा खाने से हमारे पेट के अंदर पाचन तत्व एवं अम्ल सक्रिय हो जाते हैं। इससे पाचन तंत्र ठीक तरह से संचालित होता है। अंत में मीठा खाने से अम्ल की तीव्रता कम हो जाती है। इससे पेट में जलन नहीं होती है। 6-: पीपल की पूजा तमाम लोग सोचते हैं कि पीपल की पूजा करने से भूत-प्रेत दूर भागते हैं। वैज्ञानिक तर्क- इसकी पूजा इसलिये की जाती है, ताकि इस पेड़ के प्रति लोगों का सम्मान बढ़े और उसे काटें नहीं। पीपल एक मात्र ऐसा पेड़ है, जो रात में भी ऑक्सीजन प्रवाहित करता ह 7-: दक्ष‍िण की तरफ सिर करके सोना दक्ष‍िण की तरफ कोई पैर करके सोता है, तो लोग कहते हैं कि बुरे सपने आयेंगे, भूत प्रेत का साया आ जायेगा, आदि। इसलिये उत्तर की ओर पैर करके सोयें। वैज्ञानिक तर्क- जब हम उत्तर की ओर सिर करके सोते हैं, तब हमारा शरीर पृथ्वी की चुंबकीय तरंगों की सीध में आ जाता है। शरीर में मौजूद आयरन यानी लोहा दिमाग की ओर संचारित होने लगता है। इससे अलजाइमर, परकिंसन, या दिमाग संबंधी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। यही नहीं रक्तचाप भी बढ़ जाता है। 8-सूर्य नमस्कार हिंदुओं में सुबह उठकर सूर्य को जल चढ़ाते हुए नमस्कार करने की परम्परा है। वैज्ञानिक तर्क- पानी के बीच से आने वाली सूर्य की किरणें जब आंखों में पहुंचती हैं, तब हमारी आंखों की रौशनी अच्छी होती है। 9-सिर पर चोटी हिंदू धर्म में ऋषि मुनी सिर पर चुटिया रखते थे। आज भी लोग रखते हैं। वैज्ञानिक तर्क- जिस जगह पर चुटिया रखी जाती है उस जगह पर दिमाग की सारी नसें आकर मिलती हैं। इससे दिमाग स्थ‍िर रहता है और इंसान को क्रोध नहीं आता, सोचने की क्षमता बढ़ती है। 10-व्रत रखना कोई भी पूजा-पाठ या त्योहार होता है, तो लोग व्रत रखते हैं। वैज्ञानिक तर्क- आयुर्वेद के अनुसार व्रत करने से पाचन क्रिया अच्छी होती है और फलाहार लेने से शरीर का डीटॉक्सीफिकेशन होता है, यानी उसमें से खराब तत्व बाहर निकलते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार व्रत करने से कैंसर का खतरा कम होता है। हृदय संबंधी रोगों, मधुमेह, आदि रोग भी जल्दी नहीं लगते। 11-चरण स्पर्श करना हिंदू मान्यता के अनुसार जब भी आप किसी बड़े से मिलें, तो उसके चरण स्पर्श करें। यह हम बच्चों को भी सिखाते हैं, ताकि वे बड़ों का आदर करें। वैज्ञानिक तर्क- मस्त‍िष्क से निकलने वाली ऊर्जा हाथों और सामने वाले पैरों से होते हुए एक चक्र पूरा करती है। इसे कॉसमिक एनर्जी का प्रवाह कहते हैं। इसमें दो प्रकार से ऊर्जा का प्रवाह होता है, या तो बड़े के पैरों से होते हुए छोटे के हाथों तक या फिर छोटे के हाथों से बड़ों के पैरों तक। 12-क्यों लगाया जाता है सिंदूर शादीशुदा हिंदू महिलाएं सिंदूर लगाती हैं। वैज्ञानिक तर्क- सिंदूर में हल्दी, चूना और मरकरी होता है। यह मिश्रण शरीर के रक्तचाप को नियंत्रित करता है। चूंकि इससे यौन उत्तेजनाएं भी बढ़ती हैं, इसीलिये विधवा औरतों के लिये सिंदूर लगाना वर्जित है। इससे स्ट्रेस कम होता है। 13- तुलसी के पेड़ की पूजा तुलसी की पूजा करने से घर में समृद्ध‍ि आती है। सुख शांति बनी रहती है। वैज्ञानिक तर्क- तुलसी इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। लिहाजा अगर घर में पेड़ होगा, तो इसकी पत्त‍ियों का इस्तेमाल भी होगा और उससे बीमारियां दूर होती हैं। अगर पसंद आया तो शेयर कीजिये अगर हिंदू परम्पराओं से जुड़े ये वैज्ञानिक तर्क आपको वाकई में पसंद आये हैं, तो इस लेख को शेयर कीजिये, ताकि आगे से कोई भी इस परम्परा को ढकोसला न कहे।

एक मैसेज भारतीय सभ्यता के नाम


गाय हमारी *COW* बन गयी, शर्
.
.
.म हया अब *WOW* बन गयी
, काढ़ा हमारा *CHAI* बन गया


, छोरा बेचारा *GUY* बन गया,

 योग हमारा *YOGA* बन गया,
   घर का जोगी *JOGA* बन गया,.
  भोजन 100 रु. *PLATE* बन गया,.
 ..हमारा भारत *GREAT* बन गया..
 घर की दीवारेँ *WALL* बन गयी. 
, दुकानेँ *SHOPING MALL*बन गयीँ,  
गली मोहल्ला *WARD* बन गया. 
, ऊपरवाला *LORD* बन गया,  
माँ हमारी *MOM* बन गयी.
, छोरियाँ *ITEM BOMB* बन गयीँ,  
 तुलसी की जगह *मनी प्लांट* ने ले ली..!
 चाची की जगह *आंटी* ने ले ली..!
 पिता जी *डैड* हो गये..!
भाई तो अब *ब्रो* हो गये..!
बेचारी बहन भी अब *सिस* हो गयी..!
 दादी की लोरी तो अब *टांय टांय फिस्स* हो गयी।
जीती जागती माँ बच्चों के लिए *ममी* हो गयी..

! रोटी अब अच्छी कैसे लगे *मैग्गी जो इतनी यम्मी* हो गयी..!
 गाय का आशियाना अब शहरों की *सड़कों* पर बचा है..!
 विदेशी कुत्तों ने लोगों के कंधों पर बैठकर *इतिहास* रचा है..!
 बहुत दुःखी हूँ ये सब देखकर दिल टूट रहा है..!
 *हमारे द्वारा ही हमारी* *भारतीय सभ्यता का* *साथ छूट रहा है....* ☝ 🎯
👀 एक मेसेज *भारतीय सभ्यता के नाम..*.

कुछ नया है यहाँ


जरूर पढे अच्छा लगे तो शेयर करना न भूले।।  एक बार एक शहरी परिवार मेले मेँ घुमने  गया, मेले मेँ 1 घंटे तक घुमे, कि अचानक उनका बेटा मेले मेँ खो गया, दोनो पति-पत्नी उसे मेले मेँ बहुत ढ़ुढ़तेहै,  लेकिन लङका नही मिलता…  लङके कि माँ जोर-जोर से रोने लगती है,  बाद मेँ पुलिस को सुचना देतेहै,  आधे घण्टे बाद लङका मिल जाता है, लङके के मिलते ही उसका पति गाँव का टिकिट लेकर आता है,     और वो सब बस मेँ बेठ कर गाँव रवाना हो जाते है,  तभी पत्नी ने पुछा: हम गाँव क्यो जा रहे हैं? अपने घर नही जाना है क्या…?  तभी उसका पति बोला: “तु तेरी औलाद के बिना आधा घण्टा नही रह सकती,  तो मेरी माँ गाँव मेँ पिछले 10 साल से मेरे बिना कैसे जी रही होगी..??  माँ-बाप का दिल दु:खाकर आजतक कोई सुखी नही हुआ.  कदर करनी है, तो जीतेजी करो, जनाजा उठाते वक़्त तो नफरत करने वाले भी रो पड़ते हैं।।।।।।  प्लीज सही लगे तो सभी दोस्तो को जरुर भेजना , माँ–  माँ तो जन्नत का फूल है , प्यार करना उसका उसूल है , दुनिया की मोह्ब्बत फिजूल है , माँ की हर दुआ कबूल है, माँ को नाराज करना इंसान तेरी भूल है, माँ के कदमो की मिट्टी , जन्नत की धूल है , अगर अपनी माँ से है प्यार , तो अपने सभी दोस्तो को सेन्ड करे।। वरना ये मेसेज आपके लिये फिजूल है।। 

शुक्रवार, 9 सितंबर 2016

निश्चल की पंक्तिया


2 अक्टूबर को आयेगा महाप्रलय


2 अक्टूबर को आयेगा महाप्रलय, इस बड़े संत ने की भविष्यवाणी वेलिंग्टन। दुनिया ख़त्म होने की बाते तो हम पिछले कई सालों से सुनते आ रहे हैं। हमें कई बार दुनिया के खत्म होने की अफवाहें सुनने को मिल चुकी हैं। लेकिन इस बार कैलिफोर्निया के एक संत हैरल्ड कैपिंग ने दुनिया ख़त्म होने का जो खुलासा किया है यह वाकई दिल दहला देने वाला है। अगर हैरल्ड की भविष्यवाणी सही साबित हुई तो अगले महीने गाँधी जयंती के दिन महाप्रलय आएगा और सबकुछ तबाह हो जायेगा। हैरल्ड कैपिंग ने 2 अक्टूबर को दुनिया खत्म होने की करी भविष्यवाणीसंत ने अंको को जोड़ने और तोड़ने के बाद हिसाब लगाकर चेतवानी दी है कि 2 अक्टूबर की शाम 6 बजे महाप्रलय आएगा जो सबकुछ मिटा कर रख देगसंत ने अंको को जोड़ने और तोड़ने के बाद हिसाब लगाकर चेतवानी दी है कि 2 अक्टूबर की शाम 6 बजे महाप्रलय आएगा जो सबकुछ मिटा कर रख देगा।हैरल्ड कैपिंग का मानना है कि दुनिया की दो फीसदी आबादी तुरंत ख़त्म हो जाएगी और शेष आबादी किसी दूसरे स्थान पर चली जाएगी। 89 वर्षीय संत हैरल्ड कैपिंग पूर्व में सिविल इंजीनियर भी रह चुकें हैं। कैपिंग प्रत्येक दिन अपनी भविष्यवाणी फैमिली रेडियो नेटवर्क के जरिए करते हैं। उनका यह धार्मिक ब्रॉडकास्टिंग संगठन उनके श्रोताओं के दान से चलता है। 70 वर्षों तक बाइबल का अध्ययन करने के बाद उनका दावा है कि उन्होंने गणित की मदद से एक ऐसा तरीका विकसित कर लिया है, जिसकी मदद से छिपी हुई भविष्यवाणियों को सामने लाया जा सकता है। कैपिंग का दावा है कि ईसा को सूली पर चढ़ाए जाने के दिन से 7,22,500 दिनों बाद पृथ्वी का अंत तय है। 7,22,500 की संख्या अहम है, क्योंकि यह 3 पवित्र संख्याओं- 5, 10 और 17 का गुणनफल है। जापान, न्यूजीलैंड और हैती में आए भूकम्प इस प्रलय के पूर्व संकेत हैं। आप को बता दे कि इसके पहले भी एक बार कैपिंग ने दुनिया के खत्म होने की तारीख 6 सितंबर, 1994 निश्चित की थी था। हालांकि बाद में उन्होंने तर्क दिया था की गणना करने में खामियां थी। अब उन्होंने या नई तारीख घोषित की है।

केजरी की तपस्या


एक बार केजरीवाल ने भोलेनाथ को खुश करने के लिए घोर तपस्या की..... भोलेनाथ सर जी की तपस्या से खुश हो के प्रकट हो गए और बोले - मैं तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हूं बेटा मांगो क्या मांगते हो... केजरीवाल - मैं चाहता हूं कि मोदी जी इस्तीफा दें। भोलेनाथ तथास्तु .. दूसरे दिन ललित मोदी का आईपीएल से इस्तीफा आ गया ........ और तीसरे दिन केजरीवालजी ने यह ऐलान कर दिया कि नरेंद्र मोदी और भोलेनाथ एक दूसरे से मिले हुए हैं....😀😀😀 (Sorry Arvind it's only joke)

ज़िन्दगी" बदलने के लिए लड़ना पड़ता है..


"ज़िन्दगी" बदलने के लिए लड़ना पड़ता है..!
और आसान करने के लिए समझना पड़ता है..!
 वक़्त आपका है, चाहो तो सोना बना लो
 और
चाहो तो सोने में गुज़ार दो..!
अगर कुछ अलग करना है तो भीड़ से हटकर चलो..!
भीड़ साहस तो देती है पर पहचान छीन लेती है...!
 मंज़िल ना मिले तब तक हिम्मत मत हारो और ना ही ठहरो....
क्योंकी,
पहाड़ से निकलने वाली नदियों ने आज तक रास्ते में किसीसे नहीं पूछा..

*समन्दर कितना दूर है*

इंटरव्यू का शॉर्टकट

एक नवयुवक आईएएस का इंटरव्यू देन गया। उससे पूछा गया भारत को आजा़दी कब मिली? ... . उसने कहा "प्रयास तो काफी पहले शुरू हो गए थे पर सफलता 1947 में मिली।" . . . फिर उससे पूछा गया, "हमें आजा़दी दिलाने में महत्वपूर्ण भुमिका किसने निभाई ?" . . . वह बोला, "इसमें कई लोगों का योगदान रहा, किसका नाम बताऊं? . . यदि किसी एक का नाम लेता हूं तो अन्य के साथ अन्याय होगा।" . . "क्या भ्रष्टाचार हमारे देश का सबसे बड़ा दुश्मन है?" . . . . "इस बारे में शोध चल रहा है। सही उत्तर मैं तभी दे पाऊंगा जब रिपोर्ट देख लूं।" . . . इंटरव्यू बोर्ड इस नवयुवक के ओरिजनल उत्तरों से बेहद खुश हुआ। . . . उन्होंने नवयुवक को जाने को कहा, पर यह हिदायत दी कि वह बाहर बैठे अन्य उम्मीदवारों को ये प्रश्न न बताए क्योंकि वे यही प्रश्न उनसे भी पूछेंगे। . . . ... जब नवयुवक बाहर आया तो अन्य उम्मीदवारों ने उससे पूछा कि उससे क्या प्रश्न पूछे गए हैं। . . . इसने बताने से इन्कार कर दिया। . . तब मुल्ला जी ने कहा कि यदि प्रश्न नहीं बता सकते तो उत्तर ही बता दो। तब नवयुवक ने चुपके से सिर्फ मुल्ला जी को उत्तर बता दिए। . . अब मुल्ला गया इंटरव्यू देने। . . इंटरव्यू बोर्ड ने उससे पूछा . "आपकी जन्मतिथि क्या है?" . मुल्ला-" प्रयास तो काफी पहले शुरू हो गए थे पर सफलता 1947 में मिली। " '😳😳😳 . .. इंटरव्यू बोर्ड वाले कन्फ्यूज हो गए। उन्होंने अगला प्रश्न दागा, . "आपके पिताजी का नाम क्या है?" .. मुल्ला "इसमें कई लोगों का योगदान रहा, किसका नाम बताऊं? यदि किसी एक का नाम लेता हूं तो अन्य के साथ अन्याय होगा।" 😂😂😂 . . बोर्ड वाले हक्के बक्के रह गए। उन्होंने कहा, . "क्या तुम पागल हो गए हो?" . मुल्ला -"इस बारे में शोध चल रहा है। सही उत्तर मैं तभी दे पाऊंगा जब रिपोर्ट देख लूंगा...... ये तो पक्का नया है।.....😘 अब Share करने में कंजूसी मत करना।

गुरुवार, 8 सितंबर 2016

जनरल फ़ॉर जनरल ओ बी सी फ़ॉर ओ बी सी और यस सी फ़ॉर यस सी

उत्तरप्रदेश के हाथरस में जातिगत आरक्षण को मुँह तोड़ जवाब दिया एक कॉलेज के प्रिंसिपल जिनका नाम वीरेंद्र पुरी है। उन्होंने सभी छात्रो को GENERAL और OBC/SC/ST जैसे कि सरकार ने जातिगत आरक्षण में बाँटा है ठीक उसी प्रकार A B C D कक्षाओ में बाँट दिया। और ऐसे ही शिक्षको को जैसे जनरल छात्रो को जनरल शिक्षक ओबीसी को ओबीसी और SC को SC के शिक्षक और ST को ST के शिक्षक पढ़ाएंगे। इस फार्मूले को वीरेन्द्र पुरी जी ने खोजा इसलिए इसे चाणक्य #फार्मूला कहा जा रहा है जल्दी ही इसे, चिकित्सा के क्षेत्र में भी लागू करने की योजना है। सभी अच्छे लोग इसके समर्थन में हैं। मुझे व्यतिगत तौर पर यह सिस्टम बहुत अच्छा लगा। इसे पुरे देश में लागू होना चाहिए। आपकी क्या राय है ? जरूर बताये आखिर पोल तो खुले इस आरक्षण की। सहमत हों तो कृप्या देश हित में शेयर करें।

3 जी से 4 जी में बदले अपने पुराने मोबाइल को

जिओ ने सभी टेलीकॉम कंपनियों के पसीना छुड़ा दिए है। रिलायंस अपने सभी ग्राहकों को फ्री में सिम दे रहा है, लेकिन यह सिम केवल 4जी स्मार्टफोन्स पर ही काम करता है। अगर आप इस सिम को किसी भी 3जी हैंडसेट, में लगाते हैं तो उसमें सिग्नल बार नहीं दिखाई देगा, तो आइये हम आपको कुछ ऐसा बताने जा रहे हैं जिसके बाद आप 3जी मोबाइल फ़ोन में भी 4जी का मजा ले सकते हैं। खबर है कि एक ऐसा मोबाइल एप है जिसके जरिए जिओ 4जी सिम को 3जी हैंडसेट चलाकर काम में लिया जा सकता है। इसके लिए केवल आपको 5 स्टेप्स फॉलो करने हैं।
आप 3जी फ़ोन में 4जी का मजा तभी ले सकते हैं जब आपके मोबाइल फ़ोन में एंड्रायड 4.4 किटकैट या इससे ऊपर के वर्जन पर काम करने वाला होना चाहिए तथा साथ ही फोन का प्रोसेसर मीडियाटेक चिपसेट से लैस होना चाहिए। 

अगर अप भी लेना चाहते है 4जी नेट का मजा तो सबसे पहले एमटीके इंजिनियरिंग एप (MTK Engineering App) को डाउनलोड कर इंस्टॉल करें। जी हां बता दें इसे सर्विस मोड के नाम से भी जाना जाता है। इसके बाद इस एप को ओपन करें। यहां आपको अपने मोबाइल का स्पेसिफिक कोड डालना हैं। इसके बाद एमटीके सेटिंग्स पर टैप करें। इसके बाद Preferred Network ऑप्शन को सलेक्ट करें। नेटवर्क मोड 4जी एलटीई, डब्ल्यूसीडिएमए या जीएसएम सलेक्ट करें। सेटिंग्स को सेव करके अपना मोबाइल फोन रीस्टार्ट करें। इसके बाद आपके 3जी मोबाइल फोन में रिलायंस जिओ की 4जी सिम एक्टिव हो जाएगी और काम करना शुरू कर देगी।

शनिवार, 3 सितंबर 2016

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किसान का इंटरव्यू

एक टी.वी. पत्रकार एक????किसान का इंटरव्यू
ले रहा था…
.
.
????पत्रकार : आप बकरे को
क्या खिलाते हैं…??????
.
किसान : काले को या
सफ़ेद को…??
.
पत्रकार : सफ़ेद को..????????
.
किसान : घाँस..
.
????पत्रकार : और काले को.??
.
किसान : उसे भी घाँस..
.
????पत्रकार : आप इन बकरों
को बांधते कहाँ हो.??
.
????किसान : काले को या
सफ़ेद को…??
.
पत्रकार : सफ़ेद को..
.
किसान : बाहर के कमरे में..
.
????पत्रकार : और काले को…??
.
किसान : उसे भी बाहर
के कमरे में…
.
????पत्रकार : और इन्हें नहलाते
कैसे हो…??
.
किसान : किसे काले को
या सफ़ेद को…??????????
.
पत्रकार : काले को..
.
किसान : जी पानी से..
.
पत्रकार : और सफ़ेद को.??????????
.
किसान : जी उसे भी पानी से..
.
पत्रकार का गुस्सा सातवें
आसमान पर,
बोला : कमीने ! जब दोनों
के साथ सब कुछ एक
जैसा करता है, तो मुझसे
बार-बार क्यों पूछता है..
काला या सफ़ेद…????????????????????
.
किसान : क्योंकि काला
बकरा मेरा है…????????
.
पत्रकार : और सफ़ेद बकरा??
.
किसान : वो भी मेरा है…
.
पत्रकार बेहोश…
.
होश आने पे किसान बोला
अब पता चला कमीने
जब तुम एक ही news
को सारा दिन घुमा फिरा
के दिखाते हो हम भी
ऐसे ही दुखी होते है।

वन्दे मातरम!

[11:39 AM, 9/2/2016] Ravi Pandey: पतंजली अपने शैशव काल में थी। तब सिर्फ १,१०० करोड़ रूपए की कंपनी थी। आज पतंजली ५,००० करोड़ रूपए  की कंपनी है अगले वित्तीय वर्ष का १०,००० करोड़ रु. का लक्ष्य रखा है बाबा ने।  इसके अलावा, आगे बाबा की सबसे बड़ी और सबसे महत्वाकांक्षी योजना जिसपर बाबा ने काम शुरू कर दिया है, वो है, शिक्षा के क्षेत्र में!

आपको ये जान कर प्रसन्नता होगी कि बाबा ने भारत सरकार के मानव संसाधन & विकास मंत्रालय, माने ministry of HRD से देश में विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए एक वैदिक board की स्थापना के लिए अनुमति मांगी है। जैसे देश में CBSE, ICSE और तमाम राज्यों के शिक्षा बोर्ड हैं, मुसलमानों की दीनी तालीम के लिए मदरसा board है, उसी प्रकार बाबा रामदेव ने भारत सरकार से देश में एक वैदिक board की स्थापना के लिए अर्ज़ी दी है। इस नए वैदिक board में देश की पुरातन गुरुकुल शिक्षा पद्धति को आधुनिक काल के हिसाब से remodel कर पुनर्जीवित करने का प्रयास है!

भारत की शिक्षा व्यवस्था पिछले ६८ साल से वामपंथियो के चंगुल में फंसी रही! वामपंथियों का शुरू से एक ही agenda रहा - भारत के गौरवशाली इतिहास को, संस्कृति को, हमारी सभ्यता को demean कर, बदनाम कर, नीचा दिखाओ और secularism के agenda के तहत भारत के मध्यकालीन इतिहास को, जब हम मुसलमानों के आधीन रहे, उस इतिहास को बच्चों को पढ़ाओ!

हमारे नायकों को पीछे धकेल अकबर, शाहजहाँ, औरंगज़ेब और टीपू सुलतान जैसे hero पैदा करो और राणा प्रताप, शिवाजी को भुला दो! अंग्रेजों की शिक्षा पद्धति को आगे बढ़ाओ जो leader नहीं बल्कि clerk, नौकर और stenographer पैदा करती है। विद्यार्थियों में सोचने और analysis करने की क्षमता को ख़त्म करती है आधुनिक शिक्षा पद्धति। इसमें पूरा focus सिर्फ रट्टे मार के exam पास करने पे होता है।

बाबा रामदेव ने जो वैदिक board की परिकल्पना की है, उसमे विद्यार्थियों को भारत का गौरवशाली अतीत, इतिहास, संस्कृति और परम्परा से परिचित कराने का प्रयास है!

हमारे वैदिक ग्रन्थ, वेद, उपनिषद, दर्शनशास्त्र जिन्हें आज की शिक्षा छूना भी नहीं चाहती! आधुनिक पाठ्यक्रम के साथ वेद, उपनिषद् भी पढ़ाये जाएँ। ऐसे एक शिक्षा बोर्ड की स्थापना चाहते हैं बाबा रामदेव जी!

इसको और अधिक सरल करके बताऊँ तो स्कूल में CBSE के 5 subject हिंदी, अंग्रेजी, Maths, Science और SSD के साथ एक नया stream, एक नया subject, वेद उपनिषद् भी जोड़ दिया! योग को अनिवार्य कर दिया!अब आप सोचेंगे कि बच्चे overload होंगे? जी नहीं! बिलकुल नहीं आज NCERT कहती है कि विद्यार्थियों को सिर्फ 5 पुस्तक पढ़ाई जाएं, पर हमारे private स्कूल 17 पुस्तकें लगा के रखते हैं!

वैदिक बोर्ड में NCERT की उन 5 पुस्तकों के साथ सिर्फ एक पुस्तक जोड़ दी जायेगी - वैदिक शिक्षा! विद्यार्थी जब 12 साल इस बोर्ड से पढ़ के निकलेगा तो उसे ये पता होगा कि, भगत सिंह कोई terrorist नहीं, बल्कि स्वतंत्रता सेनानी थे, और औरंज़ेब कोई महान राजा नहीं, बल्कि एक आततायी था!

बाबा रामदेव ने आचार्यकुलम के नाम से ऐसा एक वैदिक स्कूल शुरू कर भी दिया है जिसमे बच्चे सुबह उठ के योग करते हैं, यज्ञ करते हैं और फिर उसके बाद दिन में CBSE की पढ़ाई करते हैं। इसके अलावा देश भर में 9 अन्य आचार्यकुलम और बन रहे हैं। अगले 10 साल में देश में 1,000 आचार्यकुलम स्थापित करने का plan है बाबा का।

ये आचार्यकुलम Residential Schools होंगे, जो प्रस्तावित वैदिक बोर्ड से मान्यता प्राप्त होंगे और पूरी तरह गुरुकुल पद्धति से शिक्षा देंगे।

बाबा रामदेव इसके लिए देश भर में दान दाताओं से 5 एकड़ जमीन मांग रहे हैं! आपके बाप दादाओं के नाम आचार्यकुलम!

यदि एक अकेली JNU इतने वामपंथी साँप के पिल्ले पैदा कर सकती है, तो 1,000 आचार्य कुलम कितने देश भक्त पैदा करेंगे!

वन्दे मातरम!

मैंने तो शेयर कर दिया, कृपया करके आप भी शेयर जरूर करें!                        
[11:39 AM, 9/2/2016] Ravi Pandey: 🙏

न दैन्यं न पलायनम्

अंग्रेजी में एक शब्द है, मिड लाइफ क्राइसिस। शाब्दिक अर्थ तो "बीच जीवन का दिग्भ्रम" हुआ पर इसका सामान्य उपयोग मन की उस विचित्र स्थिति को बताने के लिये होता है जिसका निराकरण लगभग सभी को करना पडता है, देर सबेर। आप चाह लें तो यह दिग्भ्रम कभी भी हो सकता है पर 35 से 50 के बीच की अवस्था उन स्थितियों के लिये अधिक उपयुक्त है जिनकी चर्चा यहाँ की जा रही है।

जीवन में घटनाक्रम गतिमान रहता है और हम उसमें उलझे रहते हैं। जैसे जैसे स्थिरता आती है, हमारी उलझन कम होने लगती है और सुलझन की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है, जिसे सार्थक चिन्तन भी कहते हैं। पहले पढ़ाई, प्रतियोगी परीक्षायें, नौकरी, विवाह, बच्चों का लालन पालन, यह सब होते होते सहसा एक स्थिति पहुँच आती है, जब लगता है कि अब आगे क्या? कुछ लोगों का भौतिकता के प्रति अति उन्माद नौकरियाँ बदलने व अकूत सम्पदा एकत्र करने में व्यक्त होता है, उनके लिये थोड़ा देर से यह प्रश्न उठता है पर यह प्रश्न उठता अवश्य है, हर जीवन में। जब तक ऊँचाईयाँ दिखती रहती हैं, हम चढ़ते रहते हैं, जब जीवन का समतल सपाट आ जाता है, हमें दिग्भ्रम हो जाता है कि अब किस दिशा जायें?

जीवन में एकरूपता, उन्हीं चेहरों को नित्य देखना, रोचकता का लुप्त हो जाना, यह सब मन को रह रह कर विचलित करता है। मन का गुण है बदलाव, उसे संतुष्ट करने के लिये बदलाव होते रहना चाहिये। जब बदलाव की गति शून्यप्राय होने लगती है, मन व्यग्र होने लगता है। अब सामान्य जीवन में 35 वर्ष के बाद तेज गति से बदलाव लाने के लिये तो बहुत उछल कूद करनी होगी, नहीं तो भला कैसे आ पायेगा बदलाव?

अब कई लोग जिन्होने स्वयं के बारे में कभी कुछ सोचा ही नहीं, उन्हें यह स्थिति सोचने के लिये प्रेरित करती है और उनके लिये चिन्तन की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी रहते हैं जिन्हें यह स्थिरता नहीं सुहाती है और वह अपने जीवन में गति बनाये रखने के लिये कुछ नया ढूढ़ने लगते हैं। स्वयं की खोज करें या स्वयं को इतना व्यस्त रखें कि मन को कोई कष्ट न हो, इस दुविधा का नाम ही जीवन दिग्भ्रम है।

अपनी उपयोगिता पर सन्देह और सारे निकटस्थों पर उसका दोष, कि कोई उन्हें समझ नहीं पा रहा है। यह दो लक्षण हैं सम्भवतः इस दिग्भ्रम के। जो इसे पार कर ले जाता है, सफलतापूर्वक, उसे जीवन में कभी कोई मानसिक कष्ट नहीं आता है। जो इसे टालता रहता है, उसे इसकी और अधिक जटिलता झेलनी पड़ती है। यही एक अवस्था भी होती है जिसे जीवन में संक्रमणकाल भी कहते हैं। यही समय होता है जब आप अपने निर्णय लेते हुये जीवन को एक निश्चित दिशा दे जाते हैं, सारे दिग्भ्रमों से परे।

समस्या सबकी है, उपाय एक ही है। अपने जीवन पर एक बार नये सिरे से सोच अवश्य लें, हो सकता है कि एक नये व्यक्तित्व को पा जायें आप अपने अन्दर, हो सकता है कि आप स्वयं को पहचान जायें। कुछ इस प्रक्रिया को जीवन समेटना कहते हैं, कुछ इसे सार्थक जीवन की संज्ञा देते हैं, अन्ततः दिग्भ्रम कुछ न कुछ तो सिखा ही जाते हैं। वैसे भी जीवन से सम्बन्धित सारा ज्ञान हम अपने शैक्षणिक जीवन में ही नहीं सीख जाते हैं, हमारा अनुभव सतत हमें कुछ न कुछ सिखाता रहता है। कई परिस्थितियाँ जीवन के पथ पर ऐसे प्रश्न छोड़ देती हैं जिनको सम्हालने में पूरा अस्तित्व झंकृत हो जाता है। कोई भी झटका खाकर आहत हों तो चोट झाड़ने के पहले ही यह प्रश्न स्वयं से पूछ लें कि क्या सीखा इससे?

जो इसे पार कर चुके हैं, वे यह पढ़कर मुस्करा रहे होंगे। जो अभी यहाँ पर पहुँच रहे हैं, उन्हें यह व्यर्थ का आलाप लगेगा। जो इस दिग्भ्रम में मेरे साथ हैं, वे पुनः यह पढ़ेंगे।

Charitra

जिसका जैसा "चरित्र" होता है
उसका वैसा ही "मित्र" होता है ।

"शुद्धता" होती है "विचारों"में
"आदमी" कब "पवित्र" होता है ।

फूलो में भी कीड़े पाये जाते हैं..,
पत्थरों में भी हीरे पाये जाते हैं.., बुराई को छोड़कर अच्छाई देखिये तो सही.., नर में भी नारायण पाये जाते हैं..!!

The Right way

क्या कभी आप लोगो मे से...
किसीने भी गौर किया की...
Whatsapp पे सभी...
left side जा रहे है...
👇

🚶 🏃 🐒 🐢  🐠  🐟
🐬🐝 🐛  🐜  🐍  🐋
🐊  🐆🐅  🐏 🐑  🐄
🐃  🐂  🐖🐀 🐇🐁
🐿 🐪 🐫 🐘🐓
🕊 🐕 🐩 🐈...

🚗  🚕  🚙  🚌  🚎
 🏎 🚓  🚑  🚒  🚐
 🚚  🚛  🚜🏍 🚲
 🚝  🚄   🏇🏿  🚵🏽  🚈
🚂  🛥  ⛵ 🚤  🚁
⛴  🚴🏌⛷⛹ 🏄...


बस इसी का नाटक ज्यादा है

👇


💃💃💃💃💃

😂😂😆😆😂😂

alladen ka chirag

एक गरीब लड़के को एक चिराग मिला💢🃏

उसने उठाया और रगड़ दिया
ज़ोरदार धमाका हुआ
खुद मर गया,

"अलादीन का ज़माना गया,

लावारीस वस्तुओं से दूर रहो

कुछ चीज़े अलादीन की नहीं, मुज्जाहिदीन की भी हो सकती हैं
😜😜😜😂😂😂😂
15 अगस्त के उपलक्ष्य में
जनहित में जारी👈🏾✍🏽

प्राइमरी की कहानी


बहुत खतरनाक जोक...... जरुर पढे

आज विद्यालय में बहुत चहल पहल है

.
सब कुछ साफ - सुथरा , एक दम
सलीके से ।
.
सुना है निरीक्षण को कोई
साहब आने वाले हैं

.
पूरा विद्यालय चकाचक ।
.
नियत समय पर साहब विद्यालय
पहुंचे ।
.
ठिगना कद , रौबदार चेहरा , और
आँखें तो जैसे
जीते जी पोस्टमार्टम कर दें ।
.
पूरे परिसर के निरीक्षण के बाद
उनहोंने
कक्षाओं का रुख किया ।
.
कक्षा पांच के एक
विद्यार्थी को उठा कर
पूछा , बताओ देश का प्रधान
मंत्री कौन है ?
.
बच्चा बोला -जी राम लाल ।
.
साहब बोले -बेटा प्रधान मंत्री ?
.
बच्चा - रामलाल ।
.
अब साहब गुस्साए - अबे तुझे पांच
में किसने
पहुंचाया ? पता है मैं तेरा नाम
काट
सकता हूँ ।
.
बच्चा -
कैसे काटोगे ?
मेरा तो नाम ही नहीं लिखा है

मैं तो बाहर बकरी चरा रहा था ।
इस मास्टर ने कहा कक्षा में बैठ
जा दस रूपये
मिलेंगे ।
.
तू तो ये बता रूपये तू
देगा या मास्टर ?
.
.
साहब भुनभुनाते हुवे मास्टर
जी के पास गए ,
कडक आवाज में पूछा -
क्या मजाक बना रखा है ।
फर्जी बच्चे बैठा रखे हैं ।
पता है मैं तुम्हे नौकरी से बर्खास्त
कर सकता हूँ

.
.
गुरूजी -
कर दे भाई ।
मैं कौन सा यहाँ का मास्टर हूँ ।
मास्टर
तो मेरा पड़ोसी दुकानदार है ।
वो दुकान का सामान लेने शहर
गया है।
कह रहा था एक खूसट साहब
आएगा , झेल लेना ।
.
अब तो साहब का गुस्सा सातवें
आसमान पर ।
पैर पटकते हुए प्रधानाध्यापक के
सामने जा पहुंचे

चिल्लाकर बोले ,
" क्या अंधेरगर्दी है
, शरम नहीं आती ।
क्या इसी के लिए तुम्हारे स्कूल
को सरकारी इमदाद मिलती है

पता है ,मैं तुम्हारे स्कूल
की मान्यता समाप्त
कर सकता हूँ
जवाब दो प्रिंसिपल साहब ।
.
प्रिंसिपल ने दराज से एक
सौ की गड्डी निकाल कर मेज
पर रखी और
बोला -
मैं कौन सा प्रिंसिपल हूँ
प्रिंसिपल तो मेरे चाचा हैं ।
प्रॉपर्टी डीलिंग भी करते हैं
आज एक सौदे का बयाना लेने
शहर गए हैं ।
कह रहे थे ,
एक कमबख्त निरीक्षण
को आएगा , उसके मुंह पे ये
गड्डी मारना और दफा करना ।
.
.
.
.
.
.
.
.
.
साहब ने मुस्कराते हुए गड्डी जेब के
हवाले
की और बोले - आज बच गये तुम सब ।
अगर आज
मामाजी को सड़क के ठेके के
चक्कर में शहर
ना जाना होता , और
अपनी जगह वो मुझे
ना भेजते तो तुम में से एक
की भी नौकरी ना बचती ।
🤔🤔🤔